McDonald’s ने चेताया- हमारे इन 160 रेस्‍त्रां में ना खाएं बर्गर

मैकडॉनल्ड्स ने अपने कस्‍टमर्स को उत्‍तर और पूर्वी भारत में कनॉट प्‍लाजा रेस्‍टॉरेंट्स (सीपीआरए) द्वारा संचालित ब्रैंडेड आउटलेट्स में खाने के खिलाफ चेतावनी जारी की है. मैकडॉनल्ड्स ने कहा है कि इन रेस्‍टॉरेंट्स में उपलब्‍ध खाने के सामान उसके ग्‍लोबल स्‍टैंडर्ड के अनुरूप नहीं हैं, ऐसे में कस्‍टमर्स को स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं का सामना करना पड़ सकता है. मैकडॉनल्ड्स के प्रवक्‍ता ने ये बातें कही हैं. उनके अनुसार इन रेस्‍टॉरेंट्स को बंद कर दिया जाना चाहिए.

160 रेस्‍टॉरेंट्स चलाती है सीपीआरएल
गौरतलब है कि मैकडॉनल्ड्स से संबंध तोड़ चुके उसके ज्‍वाइंट वेंचर पार्टनर सीपीआरएल पूर्वी और उत्‍तरी भारत में 160 रेस्‍टॉरेंट्स चलाती है. इस सप्‍ताह के शुरू में इनमें से 84 को बंद कर दिया गया था, क्‍योंकि सीपीआएल के लॉजिस्टिक्‍स पार्टनर राधाकृष्‍ण फूडलैंड ने बकाया पैसे की अदायगी नहीं करने का आरोप लगाते हुए सीपीआरएल को अपनी सर्विसेज बंद करने का फैसला किया था.

मैकडॉनल्ड्स के पूर्व सहयोगी विक्रम बक्शी ने कहा है कि नई लॉजिस्टिक कंपनी की सेवाएं लेने के साथ ही पूर्वोत्तर भारत में 84 बंद रेस्त्रां में से 16 को फिर खोल दिया गया है. बक्शी ने कहा है कि नया लॉजिस्टिक भागीदार कच्चे माल की कमी से प्रभावित रेस्त्रांओं को आपूर्ति करने में सक्षम है.

बक्‍शी ने उम्मीद जताई कि सप्ताह भर में सभी बंद बिक्री केंद्रों को पूरी तरह परिचालन में लाया जा सकेगा. वहीं मैकडॉनल्ड्स इंडिया का कहना है कि उक्त अज्ञात वितरण केंद्र को उसकी मंजूरी नहीं है और सीपीआरएल के साथ फ्रेंचाइजी समझौते को रद्द किए जाने के बाद वह यह सत्यापन नहीं कर सकती कि उक्त रेस्त्रां मैकडॉनल्ड्स के खाद्य सुरक्षा, आपूर्ति व परिचालन मानकों का पालन कर रहे हैं या नहीं.

उल्लेखनीय है कि मैकडॉनल्ड्स के संयुक्त उद्यम सहयोगी रहे विक्रम बक्शी ने सोमवार को कहा था कि पूर्वी भारत में लगभग सभी रेस्तरां बंद हो गए हैं और उत्तरी क्षेत्र में कई अन्य बंद होने की कगार पर हैं. इसका कारण उनके लॉजिस्टिक भागीदारी द्वारा आपूर्ति को बंद करना है. मैकडॉनल्ड्स और बक्शी के बीच विवाद चल रहा है.

राधाकृष्ण फूडलैंड द्वारा आपूर्ति बंद किए जाने से 80 रेस्त्रां प्रभावित हुए हैं. राधाकृष्ण फूडलैंड प्राइवेट लि. ने सीपीआरएल को लिखे पत्र में कहा कि वह मात्रा कम होने तथा भविष्य की अनिश्चितता समेत कुछ अतिरिक्त राशि का भुगतान नहीं होने से आपूर्ति को रोक रही है.