अब एमपी में आधे खसरे की जमीन बिकने पर भी हो जाएगा आटोमेटिक नामांतरण

 

संपदा के डॉटा का उपयोग करेगा राजस्व विभाग

आटोमेटिक नोटिस मॉडयूल होगा लागू

भोपाल, 23 जून ।

मध्यप्रदेश में अब सायबर तहसीलों के विस्तार के साथ ही आधे खसरे की कृषि भूमि की बिक्री पर उसका आॅटोमेटिक नामांतरण शुरु करने की तैयारी है। पॉयलट के तौर पर अभी हरदा और अलीराजपुर में यह काम शुरु किया गया है और अगले एक महीने में इसे प्रदेश के सभी जिलों में लागू करने की तैयारी है। इस प्रक्रिया से जमीन बेचने और खरीदने वाले को तहसील, एमपी आॅनलाईन, कामन सर्विस सेंटर बार-बार जाने की जरुरत नहीं होगी।

राजस्व विभाग के अर्तगत ग्रामीण अंचलों की कृषि भूमि में वर्तमान में पूरे खसरे वाली जमीनों की बिक्री पर उनका नामांतरण आॅटोमेटिक हो जाता है। लेकिन एक खसरे की आधी या आंशिक जमीन की बिक्री किए जाने पर आॅटोमेटिक नामांतरण की सुविधा अभी नहीं है। राजस्व विभाग ने दस सायबल तहसीलदार नियुक्त किए है और अपने पूरे डॉटा को डिजिटलाइज कर दिया है। संपदा और रेवेन्यू केस मैनेजमेंट सिस्टम के डॉटा को इंटीगे्रेटेड कर दिया गया है। प्रदेश में ग्रामीण जमीन की खरीदी-बिक्री और नामांतरण से जुड़े कुल चौदह लाख मामले है जिनका निराकरण इस प्रक्रिया से आसान हो जाएगा। इसमें बारह लाख मामले जो अविवादित है उन्हें इस प्रक्रिया से आॅटोमेटिक मोड में किया जाएगा। इनमें भी आठ लाख विक्रय वाले खसरे है और चार लाख फौती नामांतरण के मामले है जो भूमिस्वामी की मृत्यु के बाद उसके वारिसों के नाम होंने है।

अब जो नया काम किया जा रहा है उसमें आधे खसरे या आंशिक खसरे के विक्रय पर भी आॅटोमेटिक नामांतरण की प्रक्रिया शुरु की जा रही है। रजिस्ट्री आॅफिस में के्रेता और विक्रेता के दस्तावेज लगाकर अंगूठा लगाने के बाद रजिस्ट्री जैसे ही होगी वहीं उनसे एक घोषणा पत्र भी भरवा लिया जाएगा। जिसमें विक्रेता बेचने और क्रेता खरीदने की सहमति देगा। ये सभी इंटीग्रेटेड होंगे। रजिस्ट्रार के यहां से रजिस्ट्री होते ही सूचना सायबर तहसीलदार के पास पहुंच जाएगी। इसमें पटवारी की रिपोर्ट बुलाने और आपत्तियां आमंत्रित करने के लिए क्रेता, विक्रेता और ग्रामीणों को उनके मोबाइल नंबर, ईमेल पर नोटिस जारी हो जाएंगे। आपत्ति होंने पर तहसीलदार उस पर अपनी रिपोर्ट आॅनलाईन देगा। आपत्तियों की तहसीलदार के कोर्ट में सुनवाई के बाद ऐसे मामलों में नामांतरण किए जाएंगे केवल इसी के लिए क्रेता-विक्रेता को तहसील आना होगा। जिनमें कोई आपत्ति नहीं है उनमें आॅटोमेटिक नामांतरण हो जाएंगे। सुनवाई के बाद तहसीलदार जो आदेश जारी करेंगे वह भी आॅनलाईन होगा और इसे भी इंटीग्रेटेड कर ऐसे मामलों में भी आदेश जारी होंने के बाद उसके आधार पर नामांतरण हो जाएगा।

विवादित मामलों के लिए मिलेगा समय-

प्रदेश में अभी सोलह सौ न्यायालय है इनमें से 1150 में अविवादित नामांतरण के मामले दस सायबर तहसीलदार मिलकर करेंगे इससे जो क्षेत्रीय तहसीलदार है उन्हें विवादित नामांतरण के मामलों पर काम करने का समय मिलेगा।

 

 

मुख्यमंत्री मोहन यादव के निर्देश पर तकनीकी का उपयोग करते हुए नामांतरण के प्रकरणों का निराकरण आॅटोमेटिक किया जा रहा है। आने वाले समय में किसानों को तहसीलों के चक्कर न लगाना पड़े और रजिस्ट्री के साथ ही सारे नामांतरण हो जाए और सबकुछ उनके मोबाईल, ईमेल पर आॅटोमेटिक पहुंच जाए ऐसी व्यवस्था की जा रही है। दो जिलों में पॉयलट प्रोजेक्ट मई से शुरु किया गया है। अब जल्द ही इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा।

निकुंज श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव राजस्व