प्रदेश में अब बनेंगी पत्थरों से मूर्तियां, महाकाल की तरह हवा में उड़कर नहीं गिरेगी प्रतिमाएं

 

भोपाल।

मध्यप्रदेश के उज्जैन में महाकाल परिसर में बनी सप्तऋषियों की फाइबर से बनी प्रतिमाएं तेज हवा और आंधी में गिरने के बाद अब सरकार ने निर्णय लिया है कि पूरे प्रदेश में अब पत्थर की मूर्तियां ही तैयार की जाएंगी। इनके निर्माण के लिए मध्यप्रदेश के कारीगरों का ही सरकार उपयोग करेगी जो देश के नामी कारीगरों की देखरेख मेेंं ये पत्थर की मूर्तियां तैयार करेंगे।

महाकाल मंदिर परिसर में बनी सप्तऋषियों की प्रतिमाएं इनके लोकार्पण होंने से पहले ही तेज आंधी और हवा में उखड़कर गिर गई थी। इस घटना के बाद प्रदेश सरकार की किरकिरी हुई थी। अब मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के निर्देश पर पूरे प्रदेश में सार्वजनिक शासकीय स्थलों पर पत्थर से ही मूर्तियां और सजावटी सामग्री तैयार कराई जाएंगी। फाइबर से बनी जो मूर्तियां पूरे प्रदेश में अलग-अलग स्थानों पर लगी है उन्हें भी पत्थर की इसी प्रकार की हुबहू मूर्तियों से बदली जाएंगी। इसके लिए उज्जैन में भोपाल हाट और विक्रम विवि परिसर में दो वर्कशॉप बनाए गए है। यहां मध्यप्रदेश के मूर्तिकार, शिल्पकार पूरे प्रदेश के लिए पत्थर की मूर्तियां तैयार करेंगे। देश के नामी शिल्पकारों को यहां बुलाकर प्रदेश के कारीगरों को इस प्रकार पत्थर की आकर्षक नक्काशीदार प्रतिमाओं के निर्माण के कौशल मेंं पारंगत किया जाएगा। प्रदेश के और भी जो शिल्पकार, कारीगर इस कला को सीखना चाहते है उन्हें भी यहां इसका प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह प्रशिक्षण यहां लगातार चलता रहेगा। सभी शासकीय, अशासकीय और सामाजिक संस्थाएं यहां से पत्थर की मूर्तियां और सजावटी सामग्री, स्तंभ, नक्काशीदार छत और अन्य वस्तुएं तैयार करा सकेंगे। मध्यप्रदेश के शिल्पकारों को प्रोत्साहित करने के लिए यह कदम उठाया गया है।

अब प्रदेश में शासकीय स्थलों, आयोजनोें के लिए फाइबर की प्रतिमाएं नहीं बनवाई जाएंगी। केवल पत्थर से निर्मित प्रतिमाएं भी पूरे प्रदेश में स्थापित की जाएंगी। अशासकीय संस्थाएं और व्यक्ति भी उज्जैन के इन वर्कशॉप में पत्थर की मूर्तियां आर्डर देकर तैयार करवा सकेंगे। लोकल फार वोकल के लिए यह कवायद की जा रही है। इससे प्रदेश मे अच्छे शिल्पकार, कारीगर भी तैयार होंगे, उन्हें रोजगार भी मिलेगा और सभी एतिहासिक, धार्मिक और सार्वजनिक स्थलों, पर्यटन स्थलों पर बेहतर गुणवत्ता की आकर्षक नक्काशीदार पाषाण प्रतिमाएं स्थापित की जा सकेंगी।

 

 प्रदेश में शासकीय, अशासकीय और सामाजिक संस्थाओं द्वारा निर्मित किए जाने वाले स्थलों पर अब पत्थर से बनी प्रतिमाएं ही स्थापित की जाएंगी। इसके लिए उज्जैन में दो स्थानों पर वर्कशॉप बनाकर यहां देश के नामी शिल्पकारों की देखरेख में स्थानीय कारीगरों, शिल्पकारों की मदद से इन प्रतिमाओं का निर्माण किया जाएगा। इससे गुणवत्तापूर्ण निर्माण होगा और प्रदेश के शिल्पकारों को रोजगार भी मिलेगा।

शिवशेखर शुक्ला, प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति