नए साल में 11 फीसदी महंगा हुआ बेंट क्रूड, बढ़ेंगे पेट्रोल-डीजल के दाम

पिछले साल के अंत में अंतरार्ष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में आई भारी गिरावट के बाद पेट्रोल और डीजल के दाम घटने से उपभोक्ताओं को काफी राहत मिली थी। लेकिन अब उन्हें फिर जेब ज्यादा ढीली करनी पड़ सकती है, क्योंकि नए साल में कच्चे तेल के भाव में तेजी का सिलसिला निरंतर जारी है। कच्चा तेल 60 डॉलर प्रति बैरल पर चला गया है। वहीं, डब्ल्यूटीआई 50 डॉलर प्रति बैरल के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर गया है।

नए साल में अंतरार्ष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड अबतक 11 फीसदी से ज्यादा महंगा हो चुका है। पिछले महीने जहां ब्रेंट क्रूड का भाव 26 दिसंबर को 50 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गया था, वहीं अब 60 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गया है। इस तरह पिछले एक पखवाड़े से कम समय में कच्चे तेल के दाम में करीब 10 डॉलर की तेजी आ गई है। एंजेल कमोडिटी के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट (मुद्रा व ऊर्जा शोध) अनुज गुप्ता बताते हैं, “अंतरार्ष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में उतार-चढ़ाव का असर भारत में पेट्रोल और डीजल के दाम पर करीब 10 दिन बाद ही दिखता है। इस तरह, कच्चे तेल की हालिया तेजी से पेट्रोल और डीजल के दाम में बढ़ोतरी हो सकती है। उधर, कच्चे तेल के दाम में वृद्धि से देसी मुद्रा रुपये पर भी डॉलर के मुकाबले दबाव देखा जा रहा है।”

पेट्रोल और डीजल के भाव में नए साल में एक दिन बढ़ोतरी होने के बाद लगातार दो दिनों से स्थिरता बनी हुई है। हालांकि बाजार के जानकार बताते हैं कि दाम में गिरावट थमने के बाद अब वृद्धि का सिलसिला फिर शुरू हो सकता है। पिछले साल चार अक्टूबर को देश की राजधानी दिल्ली में पेट्रोल का भाव 84 रुपये प्रति लीटर के रिकॉर्ड ऊंचे स्तर पर पहुंच गया था, जिसके बाद केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में 1.5० रुपये प्रति लीटर कटौती के साथ भाव में 2.5० रुपये लीटर की घोषणा की थी। इसमें एक रुपया प्रति लीटर कटौती का बोझ तेल विपणन कंपनियों को उठाने को कहा गया था। केंद्र की घोषणा के बाद भारतीय जनता पाटीर् शासित कुछ प्रांतों की सरकारों ने भी तेल के दाम पर राज्य के करों में कटौती की घोषणा की थी।