राहुल गांधी ने कहा- राजनीति से लेकर कारोबार तक में वंशवाद है

दो हफ्ते की अमेरिका यात्रा पर आए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि भारत में राजनीति से लेकर कारोबार तक में वंशवाद है। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने मंगलवार को यूनिवर्सिटी आॅफ कैलिफोर्निया, बर्कले के छात्रों को संबोधित करते हुए यह बात कही। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बांटने वाली राजनीति को बढ़ावा देने, जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के लिए जगह पैदा करने और अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने का आरोप लगाया है। राहुल ने यूनिवर्सिटी में समकालीन भारत और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के बारे में अपना नजरिया भी जाहिर किया। एक सवाल के जवाब में राहुल ने भारत में वंशवाद के मुद्दे पर कहा, ‘भारत में ज्यादातर पार्टियों के साथ यह समस्या है…अखिलेश यादव भी वंशवादी हैं। स्टालिन (द्रमुक में एम करुणानिधि के बेटे) भी वंशवादी हैं। भाजपा के (प्रेम कुमार) धूमल के बेटे भी वंशवादी हैं। यहां तक कि अभिषेक बच्चन भी वंशवादी हैं। भारत ऐसे ही चलता है। तो मेरे पीछे नहीं पड़ें, क्योंकि भारत में ऐसे ही चलता है। अंबानी परिवार व्यापार चला रहा है। इंफोसिस में भी ऐसा चल रहा है।’ हालांकि, राहुल ने यह भी कहा कि कांग्रेस में बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है जो किसी वंशवादी परिवार से नहीं हैं। असल सवाल है कि क्या व्यक्ति में वाकई काबिलियत है और क्या वह संवेदनशील है।
स्वयंभू गोरक्षकों की ओर से की जा रही हिंसा और हाल में पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या का हवाला देते हुए राहुल ने कहा, ‘उदारवादी पत्रकारों को गोली मारी जा रही है। दलित होने और बीफ खाने के शक में मुसलिमों की हत्या भीड़ बओर से कर दी जा रही है। ये चीजें भारत में नई हैं और भारत को बहुत नुकसान पहुंचा रही हैं।’ कांग्रेस उपाध्यक्ष ने स्वीकार किया कि 2012 के करीब आकर पार्टी ने लोगों से संवाद करना बंद कर दिया था। उन्होंने कहा कि यह ऐसी किसी भी पार्टी की समस्या हो सकती है जो 10 साल तक सत्ता में रही हो। राहुल ने कहा, ‘2004 में हमने जिस विजन को तैयार किया वह 10 साल के लिए था। और यह साफ हो चुका था कि 2004 में हमारी ओर से तैयार किया गया विजन 2010-2011 आते-आते काम करना बंद कर चुका था।’ उन्होंने कहा, ‘2012 के करीब आकर कांग्रेस पार्टी में थोड़ा घमंड आ गया था। उसने वह संवाद बंद कर दिया।’
पार्टी में कार्यकारी भूमिका निभाने के सवाल पर राहुल ने कहा, ‘मैं इसके लिए पूरी तरह तैयार हूं।’ लेकिन इसका फैसला उन्होंने पार्टी पर छोड़ दिया। राहुल ने कहा, ‘हमारे यहां एक सांगठनिक चुनाव प्रक्रिया है जिससे इस पर फैसला होता है। वह प्रक्रिया अभी चल रही है। लिहाजा हमारे यहां एक आंतरिक प्रणाली है जिसमें हम कुछ प्रतिनिधियों को चुनते हैं, जो वह फैसला करते हैं। तो मेरे लिए यह कहना ठीक नहीं रहेगा कि वह मेरा फैसला होगा। वह फैसला कांग्रेस पार्टी को लेना है। वह प्रक्रिया अभी चल रही है।’ कांग्रेस उपाध्यक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति की भी आलोचना की। राहुल ने कहा, ‘जहां तक अमेरिका से रिश्ते की बात है, तो मैं उनकी स्थिति से पूरी तरह सहमत हूं। मेरा मानना है कि वे भारत को कमजोर बना रहे हैं, क्योंकि यदि आप नेपाल को देखें, वहां चीन की मौजूदगी है। यदि आप बर्मा को देखें, तो वहां भी चीन की मौजूदगी है। यदि आप श्रीलंका को देखें तो चीनी वहां भी हैं। आप मालदीव भी देखें तो चीनी वहां भी हैं।’ राहुल ने कहा, ‘विदेश नीति की बुनियादी दिशा पर मैं सहमत हूं…अमेरिका से दोस्ती, अमेरिका से करीबी रिश्ते। लेकिन भारत को अलग-थलग न होने दें, क्योंकि यह खतरनाक होगा।