प्रमोशन में आरक्षण पर आएगा बड़ा फैसला, कल से रोज होगी सुनवाई

भोपाल। मध्यप्रदेश की सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण का मामला अब अंतिम दौर में है। पिछले दो सालों से इंतजार कर रहे अधिकारियों और कर्मचारियों को अब राहत मिली है। 10 अक्टूबर से इस मामले की सुनवाई रोज होगी। कल यह केस पहले नंबर लगा है। माना जा रहा है कि आने वाले डेढ़ माह में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा और ऐतिहासिक फैसला आ जाएगा।
मध्यप्रदेश के पदोन्नति में आरक्षण मामले में सभी की निगाहें लगी हैं। बार-बार सुनवाई टलती जा रही थी। कभी जस्टिस दीपक गुप्ता ने अपने आप को अलग कर लिया तो कभी सरकारी वकील कोर्ट में उपस्थित नहीं हो पाए। इस मामले में 55 हजार से अधिकर कर्मचारी रिटायर हो चुके हैं और 22 हजार से अधिक कर्मचारियों की पदोन्नति लगभग हो चुकी है।
कई बार टली सुनवाई
21 फरवरी को भी सुनवाई टल गई थी।
2 फरवरी को भी इस मसले पर सुनवाई टल गई थी।
25 जनवरी को हुई सुनवाई में सरकारी वकील हरीश साल्वे अनुपस्थित रहे।
29 मार्च को जज के अलग हो जाने के कारण सुनवाई टल गई थी।
दिग्विजय सरकार में लागू हुआ था नियम
तत्कालीन दिग्विजय सिंह सरकार ने 2002 में प्रमोशन में आरक्षण नियम को लागू किया था, जो शिवराज सरकार ने भी लागू कर दिया था, लेकिन इस निर्णय को जबलपुर हाईकोर्ट में चुनौती दे गई थी। इस पर एमपी हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल 2016 को लोक सेवा (पदोन्नति) नियम 2002 ही खारिज करने का आदेश दिया। इसके बाद दोनों पक्ष अपने-अपने हक के लिए सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे हैं। मध्यप्रदेश सरकार आरक्षित वर्ग के पक्ष में खड़ी है।
मप्र हाईकोर्ट ने कहा था इनसे वापस लें प्रमोशन
जिन्हें नए नियम के अनुसार पदोन्नति दी गई है मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार द्वारा बनाए गए नियम को रद्द कर 2002 से 2016 तक सभी को रिवर्ट करने के आदेश दिए थे। मप्र सरकार ने इसी निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पीटिशन (LIP) लगा रखी है।
उत्तरप्रदेश में हो गए डिमोशन
उत्तरप्रदेश में भी कोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण के फैसले को निरस्त कर दिया था। इसके बाद प्रमोशन में आरक्षण का लाभ लेने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों के डिमोशन का सिलसिला शुरू हो गया था। इससे उत्तरप्रदेश ने बड़ी संख्या में अधिकारी-कर्मचारियों को बड़े पदों से वापस छोटे पदों पर कर दिया गया।