अमेरिका में बोले CM शिवराज – यहां से बेहतर हैं MP की सड़कें, खुद जानिए क्या है सच्चाई!

भोपाल। साल 2015 के नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े कहते हैं कि मध्य प्रदेश में हर रोज 112 सड़क हादसे होते हैं, लेकिन प्रदेश के मुखिया इन आंकड़ों से इत्तेफाक नहीं रखते। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि प्रदेश की सड़कों की हालत इतनी अच्छी है कि उनके आगे अमेरिका की सड़कें कुछ नहीं हैं। जी हां, सुनने में अटपटा लगेगा लेकिन ये सच है। सीएम शिवराज सिंह चौहान को प्रदेश की सड़कें अमेरिका की सड़कों से कहीं ज्यादा बेहतर लगती हैं।

दरअसल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस समय अमेरिका की यात्रा पर हैं। हाल ही में उन्होंने वॉशिंगटन डीसी में रसेल सीनेट हॉल में भारतीय दूतावास के सहयोग से पंडित दीनदयाल उपाध्याय फोरम के शुभारंभ के मौके पर कहा कि अगर किसी राज्य को आगे बढ़ाना है तो बुनियादी ढांचे के बिना वो आगे नहीं बढ़ सकता इसके लिए सबसे पहले हमने सड़कें बनवाई। इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ये भी कहा कि हमने ऐसी सड़कें बनाईं हैं कि जब मैं यहां वॉशिंगटन में एयरपोर्ट में उतरा और सड़कों पर चलकर आया तो मुझे लगा कि मध्य प्रदेश की सड़कें यूएस से बेहतर हैं।

ये बात शिवराज सिंह चौहान तब कह रहे हैं, जब प्रदेश की सड़कों की हालत जगजाहिर है। आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश की इन्हें कथित बेहतर सड़कों पर औसतन हर दिन 27 लोग बेमौत मारे जाते हैं। इनमें से ज्यादातर की मौत जिन हादसों में होती है उनका कारण घटिया सड़क ही होती है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो पर उपलब्ध 2015 के आंकड़े भी बताते हैं कि प्रदेश में हर दिन औसतन 112 सड़क हादसे होते हैं। सड़कों और उन पर चलने वालों की सुरक्षा की स्थिति को आप ऐसे समझ सकते हैं कि देश में सड़क हादसों के मामले में एमपी चौथे नंबर पर है।

वैसे सड़कों की तारीफों के कसीदे गढ़ने में सीएम शिवराज ने सिर्फ इतना ही नहीं कहा। उन्होंने मुस्कुराते हुए ये भी कहा कि मैं यह सिर्फ कहने के लिए नहीं कहा रहा। हमने मध्य प्रदेश में करीब 1.75 लाख किमी सड़कें बनाई। ये सड़कें सभी गांव को जोड़ते हुए बनाई गई।

वैसे हो सकता है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को वॉशिंगटन डीसी की सड़कों की स्थिति प्रदेश की सड़कों से खराब लगी हो। लेकिन वास्तविक स्थिति क्या है, ये हम आपको बताने जा रहे हैं। हम आपको दिखाने जा रहे हैं प्रदेश भर की कुछ सड़कों की वास्तवित स्थिति, जिसके दम पर शिवराज सिंह चौहान अमेरिका की सड़कों को चुनौती देते नजर आ रहे हैं।

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ये सड़क है मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विधानसभा क्षेत्र बुधनी की जहां पर तस्वीर सब कुछ बयान करने के लिए काफी है। जी हां, ये वही नेशनल हाईवे 69 है, जो शिवराज सिंह चौहान की विधानसभा को होशंगाबाद से जोड़ता है। तस्वीर बता रही है कि सड़क खस्ताहाल है। एक किलोमीटर में ही गिनने बैठें तो सैंकड़ों लगभग 300 छोटे बड़े गढ़ढे आपको सानी से नजर आ जाएंगे।

विंध्य क्षेत्र में सड़कों की जगह उड़ता है धूल का गुबार
विंध्य से गुजरे नेशनल हाइवे की हालत कुछ ऐसी है कि यहां से गुजरने पर सड़क तो छोड़िए, रास्ता ही गुम जाता है। धूल में धंसकर गाड़ियां निकलती हैं। ये हम नहीं कह रहे हैं, तस्वीरें इस बात की तस्दीक करती हैं। रीवा, सतना ,पन्ना, सीधी और सिंगरौली से नेशनल हाइवे 7, 75 और 39 गुजरे हैं। इनकी हालत तो ग्रामीण सड़क से भी बदतर है। हालांकि इनकी मरम्मत का काम पिछले 5- 6 वर्ष से चल रहा है। लेकिन ठेका कंपनी और पेटी कॉन्ट्रेक्टर के बीच विवाद के कारण निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पा रहा है। वैसे सरकार के पास इसे नेशनल हाइवे कहकर बचने का पूरा मौका है, लेकिन जब केंद्र में भी बीजेपी की सरकार होने के बाद भी कई सालों से यही स्थिति बनी है तो कुछ सवाल राज्य सरकार से भी पूछा जाना वाजिब है।

पुल पर गड्ढे, पिलर पर उग आए हैं पेड़
इंदौर से इच्छापुर तक 202 किलोमीटर लंबे राजमार्ग पर जगह-जगह गड्ढे हैं। यहाँ गड्ढों की गिनती की जाए तो ये 2 हजार से कम नहीं निकलेंगे। नर्मदा नदी पर बने मोरटक्का पुल की भी हालत ख़राब है। पुल पर गड्ढे होने के साथ ही पिलर पर पेड़ उग आए हैं। वर्ष 2003 में अशोका एंड कंपनी ने 164 करोड़ रुपए में इस मार्ग को टू-लेन बनाकर टोल टैक्स वसूलना शुरू कर दिया था। 12 वर्षों तक इस मार्ग की देखरेख की जिम्मेदारी भी निर्माण कंपनी की थी। 2015 में समयावधि समाप्त होने पर प्रदेश सरकार ने सिंहस्थ को देखते हुए 2016 में छह माह का अतिरिक्त समय देकर अशोका कंपनी को संचालन और देखरेख की जिम्मेदारी सौंपी थी।

इसके बाद कंपनी ने मेंटेनेंस करने से हाथ खींचना शुरू कर दिया। सरकार द्वारा टोल बेरियर बंद करने के बाद मार्ग के रखरखाव की ओर ध्यान नहीं दिया गया। प्रतिदिन हजारों वाहनों के गुजरने से सड़क पर जगह-जगह गड्ढे हो गए हैं। इंदौर-खंडवा-इच्छापुर सड़क को फोरलेन बनाने के लिए प्रदेश सरकार ने केंद्र के नेशनल हाइवे बनाने वाली कंपनी को सौंप दिया है। कंपनी 202 किलोमीटर नई सड़क बनाने के लिए डीपीआर तैयार कर रही है।

केन्द्रीय मंत्री की घोषणा के बाद भी अटका है काम, कारण पता नहीं
फरवरी 2012 में शुरू होने के बाद बंद हुआ ग्वालियर-झांसी के बीच लगभग 80 किलोमीटर हाईवे का काम 5 साल निकलने के बाद भी दांवपेंच में उलझा हुआ है। सड़क न बनने के कारण यहां से निकलने वाले लाखों वाहन और डबरा से दतिया के बीच रहने वाले लोगों को खासी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। इस रोड को 2014 में कोर्ट के आदेश के बाद मोटरेबल बनाया गया था, लेकिन इसके बाद से कोई काम नहीं हुआ है। आलम यह है कि जून में हुए स्वच्छता समागम के दौरान केन्द्रीय मंत्री नितिन गढ़करी ने ग्वालियर-झांसी हाइवे के काम को शुरू कराने की घोषणा की थी। इसके बाद भी यह काम अभी तक अटका हुआ है और अधिकारी लगभग तीन से चार महीने के बाद काम शुरू होने की बात कर रहे हैं।

ये है वर्तमान स्थिति
ग्वालियर को उत्तर-दक्षिण गलियारे से जोडऩे वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 75 के अंतर्गत ग्वालियर से झांसी तक लगभग 81 किलोमीटर सड़क में करीब 45 किलोमीटर सड़क बनी है। इसमें से 25 किलोमीटर सड़क सिंगल साइड है। इस सिंगल पट्टी को बनाकर तत्कालीन कंपनी ने सड़क को मोटरेबल बनाया है। फिलहाल पूरी सड़क में बमुश्किल 15 किलोमीटर की दूरी पर ही दोनों ओर वाहन दौड़ रहे हैं, बाकी की पूरी सड़क एक साइड ही चल रही है।

इंदौर-नीमच हाईवे मध्यप्रदेश में सड़कों की बदहाली का एक और बड़ा उदाहरण है। 155 किमी लम्बे हाईवे पर रतलाम से नागदा फंटा (लेबड़) और रतलाम से मंदसौर के बीच गड्ढों ने वाहनों का निकलना मुश्किल कर दिया है। बारिश पूर्व मरम्मत के नाम पर कुछ स्थानों पर पेंचवर्क किया गया था, लेकिन यातायात के दबाव के आगे हाईवे का करीब 80 किमी हिस्सा विभिन्न स्थानों पर जर्जर हो गया है। वहीं, रतलाम शहर में महूरोड फव्वारा चौक से कोर्ट तिराहा की सड़क को लेकर लोग विरोध प्रदर्शन कर धरना तक दे चुके है। करीब 2.16 करोड़ की लागत वाली यह सड़क गड्ढों में बदलकर परेशानी का कारण बनी है। लोकेन्द्र भवन रोड पर भी गड्ढों के कारण आए दिन शहर में वाहन दुर्घटनाएं हो रही है।

कहां है सड़क, गाड़ी निकल जाए तो धूल ही नजर आती है
बालाघाट जिले में वारासिवनी से लेकर रामपायली गर्रा मोवाड़ तक सड़क काफी जर्जर हो चुकी है। करीब 45 किलोमीटर की इस सड़क के निर्माण के लिए 97 करोड़ रुपए स्वीकृत भी हुए हैं। ठेकेदार ने निर्माण कार्य शुरू किया लेकिन उसे समय सीमा में पूरा नहीं कर पाया। जिसके कारण मार्ग अभी भी अधूरा पड़ा हुआ है। यह समस्या पिछले 15 20 सालों से बनी हुई है । कांग्रेस शासनकाल में भी यह सड़क नहीं बन पाई थी। जबकि भाजपा के शासन काल में सड़क के बनने की उम्मीद थी। लेकिन वह भी अधूरी रह गई। सड़क निर्माण को लेकर ग्रामीणों ने अनेक बार धरना प्रदर्शन और चक्काजाम किया। इसी तरह सिवनी कटंगी बोनकट्टा अंतर राज्य मार्ग का भी निर्माण कार्य अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। यहां भी करीब 15-20 वर्षों से सड़क जर्जर हो चुकी है। जो अभी भी वैसी ही स्थिति में है। ठेकेदार ने सिवनी से लेकर कटंगी की ओर कुछ दूरी तक सड़क का निर्माण किया है जिसके बाद सड़क जस की तस पड़ी हुई है। कटंगी से बोन कट्टा तक का मार्ग पूरा पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। सड़क निर्माण के नाम पर मार्ग को खोदकर रख दिया गया है। यहां आवागमन करने लायक की स्थिति भी नहीं है। सड़क की जर्जर स्थिति के कारण आए दिन दुर्घटनाएं हो रही है। ऐसी ही स्थिति बालाघाट मुख्यालय से लेकर वारासिवनी तक की भी बनी हुई है। यहां गर्रा से लेकर वारासिवनी तक सड़क पूरी तरह से खराब है

नरसिंहपुर जिले में 95 पुलिया और 50 से अधिक मार्ग मांग रहे हैं मरम्मत
नरसिंहपुर से सावनेर राष्ट्रीय राजमार्ग के छिंदवाड़ा से अमरवाड़ा रोड की हालत कुछ ऐसी है कि यहां जगह-जगह गड्ढे हो गए है। जिला मुख्यालय में नरसिंहपुर नाका के आगे पुलिस चौकी के पास इन जानलेवा गड्ढ़ों को आसानी से देखा जा सकता है। इस मार्ग पर आगे चला जाए तो पूरे 40 किलोमीटर में आपको ये मिल जायेंगे। इस मार्ग का निर्माण 4 साल पहले भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने करवाया। जल्द हो गए गड्ढो की मरम्मत भी नही कराई गई है। दूसरी सड़क शहर के अंदर ही खजरी चौक से कुकड़ा जगत होते हुए लालबाग को देखा जा सकता है,जहा गड्ढो की वजह से एक्सीडेंट होना आम हो गए है। जिला प्रशासन द्वारा एकत्र जानकारी के मुताबिक जिले में 95 पुल पुलिया जर्जर है तो वही 50 से अधिक मार्ग मरम्मत के योग्य है। जिसके लिए राज्य की एजेंसी ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण और pwd से कहा गया है।

शिवपुरी से गुजरे नेशनल हाईवे क्रमांक-3 आगरा-मुम्बई राष्ट्रीय राजमार्ग को अब फोरलेन बनाने का काम 4 साल पूर्व शुरू होकर पौने दो साल से बंद होकर अधूरा पड़ा है। इस अधूरे हाईवे पर हर रोज हो रहे सड़क हादसों में लोग जान गंवा रहे हैं। शिवपुरी मुख्यालय के दोनों ओर हाईवे पर 7-7 किलोमीटर पर हुए खतरनाक गड्ढों की वजह से हर दिन जानलेवा हादसे हो रहे हैं। क्योंकि फोरलेन हाईवे की वजह से पुराने हाइवे पर मेंटिनेंस भी नही किया जा रहा। शिवपुरी शहर में खुदी पड़ी सड़कों को बनवाने के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किए गए। फिर भी सड़क नहीं बनीं। शहर के मुख्य बाजार कोर्ट रोड पर हर दिन 1 लाख से अधिक लोग निकलते हैं, जो ऊबड़ खाबड़ होने से लोग परेशान हैं। शहर की दो सड़कों पर बिखरी गिट्टी से खतरे को देखते हुए पुलिस अधीक्षक सुनील पांडेय ने यह चेतावनी दी है कि यदि कोई केजुल्टी हुई तो ठेकेदार पर मामला दर्ज करेंगे।

जबलपुर सिवनी वाया नागपुर राष्ट्रीय राजमार्ग-7 पर फोरलेन का काम चल रहा है। वर्तमान में जबलपुर सिवनी के बीच लखनादौन के पास फोरलेन के काम से सड़कों की हालत ठीक नहीं है। सिवनी से नागपुर के बीच कुरई-खवासा के पास सड़क की हालत ठीक नहीं है। विगत दिनों यहां पर 6 करोड रुपए मरम्मत कार्य के लिए स्वीकृत हुए हैं।

दमोह. वर्ष 2013 में डीबीएफओटी के तहत टू-लेन जबलपुर से दमोह 100 किमी व दमोह से सागर तक 92 किमी का निर्माण किया गया था। अभी पांच साल की टोल वसूली हो चुकी है, 13 साल और की जानी है। इस 199 किमी सड़क ने कई जगह दम तोड़ दिया है। जबलपुर से आते वक्त दमोह नाका से माढ़ोताल तक कई जगह खराब है, जिसमें डिवाइर टूटे, फुटपाथ बना ही नहीं। दमोह आते वक्त कंटगी, गुबरा, सिंग्रामपुर, जबेरा, हरदुआ कलेहरा, नोहटा पुल के पास अधिक गड्ढे हैं। नोहटा के पास नालियों का निर्माण नहीं हुआ और डिबाइडर टूटे हुए हैं। दमोह से सागर जाते वक्त गढ़ाकोटा से सागर के बीच 7 से 10 किमी तक सड़क क्षतिग्रस्त है। रोन से 4 किमी कुमरई, सरखड़ी बांसा तक गड्ढे ही गड्ढे नजर आ रहे हैं।