हैप्पी B’Day जयसूर्या: वह खिलाड़ी जिसने ODI में बदल कर रख दी ओपनिंग की परिभाषा

आज से 49 साल पहले 30 जून, 1969 में श्रीलंका के महानतम बल्लेबाजों में शुमार सनथ जयसूर्या का जन्म हुआ था। जयसूर्या के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर की शुरुआत बहुत ही खराब रही थी और वह टीम से अंदर-बाहर होते रहते थे। करियर के शुरुआत में श्रीलंका की टीम में उनका इस्तेमाल फिलर की तरह किया जाता था, यानी कोई खिलाड़ी चोट के कारण बाहर हो जाता तो जयसूर्या को टीम में स्थान मिलता। वह प्रमुख तौर पर बाएं हाथ के स्पिन गेंदबाज थे और निचले क्रम में खेलने वाले एक उपयोगी बल्लेबाज।
जिम्बाब्वे के खिलाफ एक मैच ने बदली दी किस्मत
साल 1992 का वनडे विश्व कप सनथ जयसूर्या के क्रिकेटिंग करियर के लिए किसी वरदान से कम नहीं था। इस विश्व कप में जिम्बाब्वे के खिलाफ खेले गए मैच में 300 से अधिक रनों के लक्ष्य का सफलतापूर्वक पीछा करने में जयसूर्या ने ही निचले क्रम पर बल्लेबाजी करते हुए श्रीलंका को जीत दिलाई थी। इस 32 रनों की छोटी सी पारी ने सनथ जयसूर्या के करियर में अहम भूमिका निभाई और इसके बाद टीम में उन्हें बल्लेबाजी के लिए उपरी क्रम में भेजा जाने लगा।
वनडे क्रिकेट में बदल दी ओपनिंग की परिभाषा
यहीं से क्रिकेट की दुनिया को एक ऐसा विस्फोटक बल्लेबाज मिला, जिसने वनडे क्रिकेट में ओपनिंग की परिभाषा बदल दी और गेंदबाजों के लिए किसी दुस्वप्न से कम नहीं था। जयसूर्या ने शारजाह में पाकिस्तान के खिलाफ अपने करियर के 34वें वनडे मैच में पहला अर्धशतक जड़ा। वह टीम में आए तो थे एक स्पिन गेंदबाज के रूप में, लेकिन बल्लेबाजी की अद्धभुत क्षमता के कारण जल्द ही वह श्रीलंका के लिए वनडे के साथ ही टेस्ट में भी ओपनिंग करने लगे।
साल 1996 में श्रीलंका की विश्व कप जीत के हीरो
साल 1996 में भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका की संयुक्त मेजबानी में हुए हुए वनडे विश्व कप से श्रीलंकन क्रिकेट टीम का स्वर्णिम युग शुरू हुआ और इसके नायक थे सनथ जयसूर्या। अर्जन राणातुंगा के करिश्माई नेतृत्व में खेल रही श्रीलंकन क्रिकेट टीम ने अपने प्रदर्शन से इस विश्व कप में खेल रहीं क्रिकेट जगत की कद्दावर टीमों को हैरत में डाल दिया। श्रीलंका ने इस विश्व कप में इंग्लैंड और भारत को तो हराया ही, फाइनल में आॅस्ट्रेलिया की मजबूत टीम को हराकर पहली बार विश्व खिताब पर कब्जा जमाया।
वनडे में पहला सबसे तेज शतक और अर्धशतक बनाया
इस विश्व कप में सनथ जयसूर्या अपने आॅलराउंड परफॉर्मेंस के दम पर ‘मैन आॅफ द सीरीज’ बने और क्रिकेट जगत के सुपरस्टार बन गए। इसके बाद जयसूर्या ने अपने क्रिकेट करियर में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और कई रिकॉर्ड्स बनाते चले गए। साल 1997 में, जब वनडे में टीमें बमुश्किल ही 250 का आंकड़ा छू पाती थीं, सनथ जयसूर्या ने पाकिस्तान के खिलाफ मात्र 48 गेंदों में शतक ठोक दिया। इतना ही नहीं उन्होंने उसी टूर्नामेंट में मात्र 17 गेंदों में अर्धशतक भी ठोका।
वनडे के बाद टेस्ट में भी किया कमाल
वनडे में तो दुनिया ने सनथ जयसूर्या के जलवे देख लिए थे। अब बारी टेस्ट क्रिकेट की थी। यहीं भी सनथ जयसूर्या ने अपने झंडे गाड़े। उन्होंने तब श्रीलंका की ओर से टेस्ट क्रिकेट में सबसे बड़े व्यक्तिगत स्कोर का रिकॉर्ड तोड़ते हुए भारत के खिलाफ कोलंबो में 340 रन ठाके डाले। उस मैच में जयसूर्या ने रोशन महानामा के साथ मिलकर 576 रनों की साझेदारी कर डाली थी, जो टेस्ट क्रिकेट में किसी भी विकेट के लिए सबसे बड़ी साझेदारी थी। इस रिकॉर्ड को उनके ही देश के कुमार संगकारा और महेला जयवर्धने ने तोड़ा (तीसरे विकेट के लिए 624 रनों की साझेदारी)।
क्रिकेट के पहले सुपरस्टार आॅलराउंडर
बाद में सनथ जयसूर्या ने श्रीलंकन क्रिकेट टीम का कप्तान के रूप में भी नेतृत्व किया और काफी सफल भी रहे। उन्होंने साल 2011 में क्रिकेट को अलविदा कहा। जब उन्होंने क्रिकेट खेलना छोड़ा तब उनके नाम टेस्ट, वनडे और टी-20 मिलाकर 21,032 रन, 42 शतक और 103 अर्धशतक दर्ज थे। उन्होंने क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट्स में 440 विकेट भी चटकाए। वह क्रिकेट के पहले सुपरस्टार आॅलराउंडर थे, जिसने इस खेल के कई अन्य खिलाड़ियों को प्रेरित किया