कैबिनेट मंत्री बने अखिलेश्वरानंद ने भय्यूजी पर उठाए सवाल, कांग्रेस को भी नहीं बख्शा

भोपाल। तपोनिधि निरंजनी अखाड़ा के महामण्डलेश्वर और मप्र गोपालन एवं पशुधन संवर्द्धन बोर्ड की कार्यपरिषद के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि महाराज को हाल ही में शिवराज सरकार ने कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया है। इससे पहले उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त था, जिस पर कांग्रेस ने सवाल खड़े किए तो महाराज सरकार के प्रवक्ता की भूमिका में आ गये।

कांग्रेस का सवाल सुनते ही स्वामी ने ट्विटर पर खूब खरी-खोटी सुनाई, साथ ही बिना नाम लिए सुसाइड करने वाले भय्यूजी महाराज पर भी कटाक्ष किया। एक के बाद एक कई ट्वीट कर उन्होंने आत्महत्या करने वाले को ‘द्वैत वृत्ति’ का बताया और कहा कि मैं कभी आत्महत्या नहीं करूंगा।

उन्होंने कांग्रेस पर तंज कसते हुए लिखा, मेरे कांग्रेसी मित्रों को अनर्गल प्रलाप करना बहुत आता है, अखबार वालों को नकारात्मक पहलुओं पर विचार करना और बिना सोचे विचारे लिखना बहुत भाता है। हां! कुछ अपवादों को छोड़ दूं तो मुझे संवाद बनाना बहुत अच्छा लगता है, क्योंकि मैंने पुस्तकों में पढ़ा है ‘बोधयंतः परस्परम्’।

इसके अलावा उन्होंने भय्यूजी महाराज का नाम लिए बिना आत्महत्या को लेकर ट्वीट किया है।

अध्यात्म और अवसाद परस्पर विरोधी हैं, ठीक उसी भांति जैसे दिन में सूर्य का प्रकाश और रात्रि का गहन अंधकार। सूर्य और अंधेरा समानाधिकरण में कभी रह ही नहीं सकते। वहीं दूसरे ट्वीट में लिखा, ‘आत्महंता’ वे लोग ही होते हैं, जो अपने वास्तविक ‘स्वरूप बोध’ से कोसों दूर होते हैं। अध्यात्म जीवन का एक ही लक्षण है, ‘ब्रह्मभूतः प्रसन्नात्मा न शोचति न कांक्षति’ ‘तत्र को मोहः कः शोकः एकत्त्वमनुपश्यतः’।

आत्महत्या जैसा कठोर कदम उठाने वाला ‘द्वैत वृत्ति’ का अभ्यस्त होता है, अद्वैत वृत्ति में अवसाद और अवसान का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।

मित्रों! मैं कभी आत्म हत्या नहीं करूंगा, न ही कर सकता हूं। हार मान लेने वाला ही आत्महत्यारा हो सकता है। जहां जय-पराजय समानाधिकरण में हों, वहां आत्महत्या का प्रश्न ही नहीं उठता।

वहीं उन्होंने कैबिनेट मंत्री बनाए जाने पर सीएम शिवराज का आभार व्यक्त करते हुए इसे उनका बड़प्पन बताया है। समाज के सभी क्षेत्र में अराजनीतिक चित्त के व्यक्तियों का समावेश राष्ट्र के लिये शुभ संकेत है।

संत को सम्मान की अपेक्षा नहीं होती समाज के विभिन्न क्षेत्र उसे सम्मानित करते हैं, यह भारतीय शिष्टाचार की दीर्घकालिक परम्परा है। मुख्यमंत्री ने अपनी यशस्वी यात्रा में मुझे सम्मिलित किया है, यह उनका बड़प्पन है।