टाटा पावर 1 रुपये में बेचेगी मुंद्रा में हिस्सा!, अदाणी और एस्सार भी कर सकती हैं ऐसी पेशकश
बढ़ते कर्ज और नुकसान से परेशान टाटा पावर ने 4,000 मेगावाट की मुंद्रा परियोजना में अपनी 51 फीसदी हिस्सेदारी गुजरात ऊर्जा विकास निगम (जीयूवीएनएल) को एक रुपये में बेचने की पेशकश की है। आयातित कोयले पर आधारित बिजली संयंत्र चलाने वाली कंपनियों अदाणी पावर और एस्सार पावर भी सरकार के सामने इसी तरह पेशकश रखने पर विचार कर रही हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बिजली मंत्री पीयूष गोयल की अध्यक्षता में इस सप्ताह हुई एक बैठक में आयातित कोयले पर आधारित बिजली संयंत्रों के मुद्दे पर एक समिति का गठन किया गया। बैठक में बैंकों और राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया। आयातित कोयले की कीमत बढऩे के कारण टाटा ने बिजली के लिए अधिक शुल्क की मांग की थी जिसे उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया। इस फैसले से ये कपंनियां बुरी तरह प्रभावित हुई हैं।
अधिकारी ने कहा, ‘सरकार ने साफ किया है कि वह समन्वय का काम करेगी। बैंकों और बिजली खरीदने वाले राज्यों को ही अंतिम फैसला करना है।’ एसबीआई बैंकों की समिति की अगुआई करेगा। यह समिति इन परिसंपत्तियों का आकलन करेगी। अधिकारी ने कहा कि बैठक में बैंकों, ऋणदाताओं, पावर फाइनैंस कॉर्पोरेशन, आरईसी और गुजरात, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के मुख्य सचिव तथा टाटा पावर, अदाणी पावर और एस्सार पावर के प्रतिनिधि मौजूद थे।
टाटा पावर की इकाई और मुुद्रा परियोजना का परिचालन करने वाली कोस्टल गुजरात पावर लिमिटेड (सीजीपीएल) ने जीयूवीएनएल को एक पत्र लिखकर दो विकल्प सुझाए हैं। पहला विकल्प बिजली खरीद समझौते पर फिर से बातचीत करने का है जबकि दूसरा हिस्सेदारी बेचना है। इस पत्र को बिजली मंत्रालय के सचिव, गुजरात सरकार के प्रमुख सचिव और प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव को भी भेजा गया है।
बिज़नेस स्टैंडर्ड ने इस पत्र को देखा है। इसमें कहा गया है कि बिजली खरीदार सीजीपीएल में 51 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी एक रुपये की नाममात्र राशि में ले लें और ईंधन लागत के हिसाब से बिजली खरीद कर परियोजना को राहत दें। कंपनी ने कहा कि टाटा पावर ठेकेदार के तौर पर संयंत्र को चलाती रहेगी और 49 फीसदी हिस्सेदारी के साथ सभी जरूरी मदद देगी