कर्ज में डूबी टाटा टेलीसर्विसेज पर लग सकता है ताला

टाटा समूह की बड़ी कंपनी टाटा टेलीसर्विसेज अपने पांच हजार कर्मचारियों को नौकरी से निकालने के लिए ‘एग्जिट प्लान’ बना रही है। इस योजना में तीन से छह महीने तक नोटिस पीरियड का प्रावधान रखा जा सकता है।

जो लोग इस नोटिस अवधि से पहले छोड़ना चाहेंगे, उन्हें अलग से भत्ता दिया जाएगा। वरिष्ठ कर्मचारियों के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) लाई जाएगी। कुछ कर्मचारियों को समूह की दूसरी कंपनियों में स्थानांतरित कर दिया जाएगा।

टाटा समूह के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने एक समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में कर्ज संकट की शिकार इस कंपनी को बंद करने के संकेत दिए हैं। समाचार रिपोर्टों में कहा गया है कि टाटा टेलीसर्विसेज पर काफी कर्ज है। करीब 21 साल पुरानी यह कंपनी जल्द बंद होने वाली है। कंपनी ने अपने सभी सर्किल हेड को 31 मार्च, 2018 तक नौकरी छोड़ने के लिए कहा है।

समाचार एजेंसी पीटीआइ के अनुसार, टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने साक्षात्कार में टाटा टेली की स्थिति खराब होने की बात स्वीकार की है। उन्होंने कहा, ‘कर्ज बहुत ज्यादा हो गया है। हालात से पार पाना लगभग असंभव है। इसलिए इस कंपनी को लेकर हम जल्द ही कोई समाधान तलाशेंगे।’

हालांकि कंपनी को बंद करने के सवाल पर उन्होंने सीधा जवाब नहीं दिया। चंद्रशेखरन ने कहा कि कड़े कदम उठाए जाएंगे और ये कदम कुछ भी हो सकते हैं। उन्होंने टाटा टेली में निवेश करने की संभावना को भी पूरी तरह खारिज कर दिया। चंद्रशेखरन कहा कि ऐसा करना पैसा पानी में फेंकने जैसा होगा।

इसे सुधारने के लिए 50-60 हजार करोड़ रुपये चाहिए। हमारे पास ये विकल्प नहीं हैं। मुनाफा कमा रही टाटा की सॉफ्टवेयर कंपनी टीसीएस को छोड़कर बाकी कंपनियों पर करीब 25.5 अरब डॉलर का कर्ज है। उनकी पहली प्राथमिकता अपना बहीखाता दुरुस्त करना है।

टाटा टेलीसर्विसेज का सफर –

1996 में लैंडलाइन सेवाओं के साथ टाटा टेलीसर्विसेज की शुरुआत हुई थी। वहीं 2002 में कंपनी ने सीडीएमए ऑपरेशन शुरू किया। इसके 6 साल बाद 2008 में जीएसएम टेक्नोलॉजी अपनाई। इसके बाद जापान की एनटीटी डोकोमो ने इस कंपनी में 14 हजार करोड़ रुपये का निवेश कर हिस्सेदारी ली, लेकिन 2014 में यह साझेदारी टूट गई। वायरलेस सेगमेंट में टाटा टेली की बाजार हिस्सेदारी 3.5 फीसदी है।

इस साल जुलाई तक कंपनी के पास 4.20 करोड़ से ज्यादा ग्राहक थे। कंपनी पर फिलहाल करीब 30 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का है कर्ज है।

नैनो पर बेवजह उठते हैं सवाल –

टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने नैनो पर उठने वाले सवालों को बेबुनियाद करार दिया है। एक चैनल को दिए साक्षात्कार में उन्होंने कहा, ‘लोग नैनो को बिना वजह निशाना बना रहे हैं।

यात्री वाहन के सेगमेंट में केवल इंडिका ही लाभ वाला मॉडल है। बाकी सभी मॉडल घाटे में ही हैं। नैनो से होने वाला नुकसान टाटा मोटर्स के सालाना नुकसान का केवल चार फीसद ही है।’

सरकारी कंपनी एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल) से मिले 10,000 इलेक्ट्रिक कारों के ऑर्डर को लेकर चंद्रशेखरन ने कहा कि इससे कंपनी को फायदा होगा।

उन्होंने प्रतिद्वंद्वी कंपनी महिद्रा एंड महिद्रा के मैनेजिंग डायरेक्टर पवन गोयनका के उस बयान को खारिज किया, जिसमें उन्होंने इसे घाटे का सौदा कहा था।