ईकेवायसी फ्राड के जरिए सायबर ठगोें ने ओटीपी पूछ दो परिवारों के बैंक से उड़ाए 72 लाख
बैंक ग्राहक के ओटीपी बताने पर भी हो साइबर ठगी,निकले पैसे तो बैंक को करना होगी वापस राशि, राज्य सरकार के आईटी विभाग का फैसला
-मल्टीलेयर सुरक्षा प्रबंध करने में असफल रहा एसबीआई, एक साल पहले बैंक खाते में जुड़ा मिला सायबर ठग का मोबाइल
-अब तीस दिन में ब्याज सहित बैंक को भरपाई करने के निर्देश
विकास तिवारी, भोपाल
सायबर ठगों ने भारतीय स्टेट बैंक के भोपाल और इंदौर दो ग्राहकों के पास ईकेवायसी कराने के लिए एसएमएस बैक अफसर के नंबर के साथ भेजा। ईकेवायसी न करने पर उसी दिन बैंक खाता बंद करने की चेतावनी से डरकर बैंक ग्राहकों ने ठगों से बात की और ईकेवायसी के नाम पर मोबाइल पर आए ओटीपी को भी शेयर कर दिए। फिर क्या था ठग ने उनके बैंक खातों में जमा राशि और बैंक एफडी पर ओडी लोन बैंक की प्रतिबंधित सीमा से ज्यादा मात्रा में निकाल लिया। ठगी के शिकार ग्राहकों ने बैंक, पुलिस, सायबर सेल में शिकायत के साथ-साथ मध्यप्रदेश के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत न्याय निर्णायक अधिकारी के पास केस फाइल किया। दो साल तक चली लंबी सुनवाई के बाद भारतीय स्टेट बैंक के अफसरों की इसमें लापरवाही पाई गई और अब बैंक को ग्राहकों के 72 लाख पचास हजार से अधिक राशि ब्याज सहित वापस करने का निर्णय हुआ है। एक माह में बैंक को यह राशि ग्राहकों को देना है।
भोपाल की गृहिणी लता आर्या की भारतीय स्टे बैंक की ग्राहक है। उनके मोबाइल पर सायबर ठगों ने फर्जी मैसेज भेजकर तत्काल ईकेवायसी न कराने पर बैंक खाता बंद करने की चेतावनी दी। संदेश में अधिकारी का मोबाइल नंबर भी दिया गया था। लता आर्या के बच्चे ने इस नंबर पर बात की। बात के दौरान ग्राहक के नंबर पर आए ओटीपी नंबर की जानकारी ठग ने ले ली। इसके बाद बच्चें को बताया कि ईकेवायसी कर दी गई है। इसके कुछ देर बाद ही ग्राहक के मोबाइल पर बैंक से राशि निकलने के मैसेज आने लगे। सायबर ठग ने ओटीपी का इस्तेमाल कर अपना दूसरा नंबर बैंक खाते में जुड़वाया ,एसबीआई का योनो एप शुरु कराया, फिर ई बेंकिंग के जरिए ठग ने बैंक में जमा छह लाख रुपए निकाले। इसके बाद उनकी एफडी पर ओडी लोन की राशि भी निकाल ली।
आरबीआई की गाइडलाईन के अनुसार बैंक एफडी की राशि पर 85 फीसदी से अधिक ओडी लोन नहीं दे सकते लेकिन इसमें बैंक ने एफडी की राशि से अधिक 33 लाख 50 हजार रुपए लोन स्वीकृत कर दिया। ठग ने यह सारी राशि अपने दूसरे बैंक खातों में ट्रांसफर कर ली।
ग्राहक ने तत्काल इसकी शिकायत बैंक को करते हुए खाता ब्लॉक कराया। पुलिस और सायबर सेल में भी शिकायत की गई। इसके बाद राशि वापस नहीं मिली तो मध्यप्रदेश मंत्रालय में सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत न्याय निर्णायक अधिकारी निकुंज श्रीवास्तव के पास केस लगाया। सुनवाई के दौरान भारतीय स्टेट बैंक यह साबित करने में असफल रही कि उनकी ओर से सभी सुरक्षा मापदंडों का पालन किया गया। आरबीआई की गाइडलाईन के अनुसार बैंक को मल्टीलेयर सुरक्षा मापदंडों का पालन करना होता है। वह नहीं हुआ इस पर न्याय निर्णायक अधिकारी ने कहा कि केवल ओटीपी शेयर करने से राशि नहीं निकल सकती। बैंक ग्राहक के पूरे डिटेल, उसके डेबिट कार्ड का गोपनीय नंबर, पिन दूसरे के पास कैसे पहुंची। एक बैंक खाते पर दो नंबर कैसे एक्टीवेट हुए इसके अलावा आवेदक के खाते से राशि 22 जनवरी 2022 को निकली जबकि सायबर ठग का दूसरा मोबाइल नंबर इस बैंक खाते में 19 फरवरी 2021 से जुड़ा पाया गया। सिम बाइंडिंग सुरक्षा उपाय का भी बैंक ने पालन नहीं किया। रजिर्स्ड नंबर पर ही योनो या यूपीआई एप चल सकते है लेकिन दूसरे नंबर से ये आपरेट किए गए। ट्रांजेक्शन अलर्ट हर बार नहीं आए। बैंक को अनाधिकृत ट्रांजेक्शन के लिए जिम्मेदार ठहराया गया और अब ग्राहक के खाते पर जारी लोन माफ करने, निकली राशि ब्याज सहित तीस दिन में वापस देने के आदेश पारित किए गए है।
दूसरा मामला इंदौर की शासकीय कर्मचारी वंदना से जुड़ा हुआ है। उन्हें भी ईकेवायसी के नाम पर मैसेज मिला और ओटीपी उनसे पूछकर ठगी की गई। उनके बैंक खातों से सायबर ठग ने ठीक इसी तरह वारदात अंजाम देकर पैतीस लाख रुपए निकाल लिए। न्याय निर्णायक अधिकारी ने इस मामले में भी उनकी भारतीय स्टेट बैंक की शाखा को तीस दिन में भुगतान करने के निर्देश दिए है।
ठगी के शिकार हो तो यह करें-
इन दोनो मामलों की पैरवी करने वाले यशदीप चतुर्वेदी कहते है कि रिजर्व बैंक और आईटी एक्ट में बैंकों को ग्राहकों की राशि निकासी के लिए मल्टीलेयर सुरक्षा मापदंडों का पालन करने के निर्देश है। यदि ग्राहक ने गलती से ओटीपी , पिन शेयर भी कर दिया है तो ठगी होंने के तीन दिन के भीतर बैंक में लिखित शिकायत कर खातें में स्टाप पेंमेंट कराने के बाद यह बैंक की जिम्मेदारी है कि वह ग्राहक के खाते से निकली पूरी राशि उसे वापस दिलाए।इसकी शिकायत सायबर सेल, बैंक और पुलिस में करना चाहिए। खुद भी बैंक से यह जानकारी ग्राहक मांगे कि उसके खाते से निकली राशि किस तरह निकली। बैंक अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।