RBI की ब्याज दर तय करेगी बाजार की दिशा, मौद्रिक नीति समिति की बैठक 6 को

नई दिल्ली। इस हफ्ते निवेशकों की नजर रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक पर रहेगी। छह दिसंबर को होने वाली बैठक में तय होगा कि ब्याज दर में और कमी होगी या नहीं।
इसके अलावा गुजरात विधानसभा चुनाव के चलते भी निवेशक सतर्कता बरत रहे हैं। इसका असर भी बाजार पर दिखाई देगा।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड विनोद नायर ने कहा कि इस हफ्ते केंद्रीय बैंक की बैठक बाजार के लिहाज से सबसे बड़ी घटना है।
इसके अलावा सेवा क्षेत्र के पीएमआइ के आंकड़े भी इस हफ्ते बाजार की चाल पर असर डालेंगे। बीते हफ्ते प्रमुख शेयर बाजारों में तेज गिरावट देखी गई।
चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक विकास दर बढ़ने के बावजूद निवेशकों की धारणा में कोई सकारात्मक बदलाव नहीं दिखा। राजकोषीय घाटे की चिंता और बाजार में ऊंचे पर मुनाफावसूली से सूचकांकों में गिरावट आई।
बंबई शेयर बाजार (बीएसई) के सेंसेक्स ने बीते हफ्ते 846 अंक का गोता लगाया था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के निफ्टी में 268 अंक की गिरावट आई।
नायर ने कहा, ‘दूसरी तिमाही में जीडीपी के आंकड़े इस बात को साबित करते हैं कि अर्थव्यवस्था नोटबंदी और जीएसटी के शुरुआती झटकों से उबर चुकी है। आगे अर्थव्यवस्था में निखार की उम्मीद है।
आंकड़े यह भी दर्शाते हैं कि दूसरी छमाही में नतीजे और भी बेहतर होंगे। हालांकि निकट भविष्य में निवेशक राजकोषीय घाटा और कच्चा तेल की बढ़ती कीमत को लेकर सतर्कता बरतेंगे।’
बीते हफ्ते दूसरी तिमाही के लिए जीडीपी के आंकड़े आए थे। लगातार पांच तिमाहियों में गिरावट के बाद बीती तिमाही में जीडीपी की विकास दर बढ़कर 6.3 फीसद हो गई।
इससे पिछली तिमाही में यह तीन साल के न्यूनतम स्तर 5.7 फीसद पर पहुंच गई थी।
हालांकि इस बीच राजकोषीय घाटे ने चिंताजनक स्तर छू लिया है। राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष के लिए तय लक्ष्य के 96.1 फीसद तक पहुंच चुका है।
विदेशी निवेश आठ माह के उच्च स्तर पर
बीते महीने शेयर बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफपीआइ) ने जमकर लिवाली की। एफपीआइ ने नवंबर में कुल 19,728 करोड़ रुपये का निवेश किया। यह आठ महीने का उच्च स्तर है।
इससे पहले मार्च में एफपीआइ ने 30,906 करोड़ रुपये का निवेश किया था। एफपीआइ के निवेश में वृद्धि में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पुनर्पूंजीकरण की सरकार की घोषणा का बड़ा योगदान रहा।
इसके अलावा विश्व बैंक की ओर से भारत की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में सुधार से भी विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ा है।
शीर्ष 10 में नौ कंपनियों का पूंजीकरण गिरा
देश की शीर्ष 10 में से नौ कंपनियों का बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) पिछले हफ्ते 81,804.34 करोड़ रुपये घट गया। सबसे ज्यादा नुकसान रिलायंस इंडस्ट्रीज को हुआ।
कंपनी का एमकैप 25,110.60 करोड़ रुपये घटकर 5,76,213.96 करोड़ रुपये हो गया। समीक्षाधीन अवधि में भारतीय स्टेट बैंक का बाजार पूंजीकरण 17,005.15 करोड़ रुपये घटकर 2,69,794.84 करोड़ रुपये रहा।
इनके अलावा इन्फोसिस, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, एचडीएफसी, आइटीसी, हिदुस्तान यूनीलिवर, एचडीएफसी बैंक और ओएनजीसी के मार्केट कैप में भी गिरावट देखी गई।
बीते हफ्ते शीर्ष 10 में से लाभ में रहने वाली मारुति सुजुकी इकलौती कंपनी रही। कंपनी का एमकैप 3,620.43 करोड़ रुपये बढ़कर 2,60,016.92 करोड़ रुपये रहा।