पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव: सुप्रीम कोर्ट का चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से इनकार

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में पर्चा भरने की अंतिम तारीख आगे बढ़ाने से इनकार करते हुए कहा कि वह चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है। शीर्ष अदालत ने हालांकि, सभी उम्मीदवारों को इस मामले में राहत के लिए पश्चिम बंगाल चुनाव आयोग जाने की आजादी दी है। जज आरके अग्रवाल और जज एएम सप्रे की पीठ ने कहा, ‘हमने चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं किया है, लेकिन सभी उम्मीदवारों को जरूरी राहत के लिए राज्य चुनाव आयोग जाने की आजादी दी है।’बीजेपी ने छह मार्च को कोर्ट से कहा था कि पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र की हत्या की जा रही है क्योंकि सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस बड़े पैमाने पर चुनावी हिंसा में लिप्त है और आगामी पंचायत चुनाव के लिए विपक्ष के उम्मीदवारों को पर्चा दाखिल नहीं करने दे रही है। बीजेपी ने यह भी आरोप लगाया है कि पश्चिम बंगाल चुनाव आयोग की ओर से नियुक्त सहायक पंचायत चुनाव पंजीकरण अधिकारी बीजेपी उम्मीदवारों को पर्चा के फॉर्म देने से इनकार कर रहा है। पश्चिम बंगाल बीजेपी ने नामांकन पत्र ऑनलाइन उपलब्ध करवाने की मांग की थी। राज्य में पंचायत चुनाव 1, 3 और 5 मई को होने हैं। वोटों की गिनती 8 मई को होगी।

पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनावों से पहले राजनीतिक हिंसा का दौर शुरू हो गया है। राज्य में कई जगहों पर बीजेपी के नेताओं पर हमले की घटनाएं हुई हैं। हाल में हिंसा की कई मामले सामने आए हैं। हिंसा की ये घटनाएं वीरभूमि, बांकुरा और जलपाईगुड़ी में हुई हैं। बीजेपी इन हमलों के लिए तृणमूल कांग्रेस पर आरोप लगाया है। बीजेपी ने टीएमसी कार्यकर्ताओं पर अपने नेताओं पर हमले का आरोप लगाया है।

बांकुरा में भाजपा के राज्य सचिव श्यामपदा मंडल के वाहन पर कुछ नकाबपोश लोगों ने शुक्रवार को हमला किया। मंडल पर हमले का एक वीडियो सामने आया है। इस वीडियो में कुछ लोग मंडल को उनके वाहन से बाहर खींचकर उनकी पिटाई करते हैं। भाजपा नेता के वाहन को भी क्षतिग्रस्त किया गया है। पंचायत चुनावों से पहले राज्य में राजनीतिक सरगर्मी काफी तेज हो गई है। पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा का दौर पुराना है। राज्य में चुनावों से पहले अक्सर टीएमसी और वाम दलों के कार्यकर्ताओं के बीच हिंसक झड़पें होती हैं।