क्या है सीटीएस चेक और जानें क्यों बैंक अगले साल से नहीं क्लीयर करेंगे नॉन सीटीएस चेक

अगर आप अभी भी चेक से लेन-देन करते हैं तो यह खबर आपके लिए है बहुत जरूरी है। दऱअसल अगले साल से बैंक नॉन सीटीएस चेक स्वीकार नहीं करेंगे। इसके लिए बैंक अपने ग्राहकों को मैसेज भेजकर जानकारी दे रहे हैं। एसबीआई बैंक ने अपने ग्राहकों को मैसेज भेजकर 12 दिसंबर के बाद नॉन सीटीएस चेक स्वीकार नहीं करने की बात कही है। इसके लिए बैंक अपने ग्राहकों को नई सीटीएस चेक वाली चेक बुक दे रहे हैं।
आरबीआई ने करीब 3 माह पहले बैंकों को निर्देश देते हुए कहा था कि 1 जनवरी 2019 से नॉन सीटीएस चेक बुक का इस्तेमाल करना पूरी तरह से बंद कर दें। इसलिए बैंक अपने ग्राहकों को नई चेक बुक प्रदान कर रहे हैं। आपको बता दें कि नॉन-सीटीएस चेक बुक बंद किए जाने की डेडलाइन वैसे तो 31 दिसंबर 2018 है।
आरबीआई की वेबसाइट के मुताबिक चेक ट्रंकेशन सिस्टम चेकों के संग्रहण की प्रक्रिया में तेजी लाता है जिसके परिणामस्वरूप ग्राहकों को बेहतर सेवा उपलब्ध होती है, समाशोधन से संबंधित धोखाधड़ी या रास्ते में लिखतों के गुम हो जाने की गुंजाइश कम कर देता है, चेकों के संग्रहण में लगने वाली लागत को कम कर देता है और समाधान और क्रियान्वयन से संबंधित समस्याओं को समाप्त करता है, इस तरह से प्रणाली समस्त रूप से लाभान्वित होती है।
क्या है चेक ट्रंकेशन सिस्टम
आरबीआई की वेबसाइट के मुताबिक ट्रंकेशन वह प्रक्रिया है जिसमें आहरणकर्ता द्वारा जारी किए गए भौतिक (मूल) चेक को चेक के प्रस्तुतीकरण वाले बैंक से अदाकर्ता बैंक शाखा तक की यात्रा नहीं करनी पड़ती है। चेक के स्थान पर क्लियरिंग हाउस द्वारा इसकी इलेक्ट्रॉनिक फोटो अदाकर्ता शाखा को भेज दी जाती है जिसके साथ इससे संबन्धित जानकारी जैसे कि माइकर बैंड के डेटा, प्रस्तुति की तारीख, प्रस्तुत करने वाला बैंक इत्यादि भी भेज दी जाती है। इस तरह से चेक ट्रंकेशन के माध्यम से समाशोधन के प्रयोजनों हेतु कुछ अपवादों को छोड़कर, लिखतों की एक शाखा से दूसरी शाखा में जाने की आवश्यकता समाप्त हो जाती है। यह प्रभावी ढंग से चेक के एक स्थान से दूसरे स्थान जाने में लगने वाली लागत को समाप्त करता है, उनके संग्रहण में लगने वाले समय को कम करता है और चेक प्रोसेसिंग की समस्त प्रक्रिया को बेहतर बनाता है।