ब्लैक होल में वैज्ञानिकों ने फिर खोजीं गुरुत्वाकर्षण तरंगें

वाशिंगटन। वैज्ञानिकों ने एक बार फिर ब्लैक होल में गुरुत्वाकर्षण तरंगों की खोज की है। धरती से करीब एक अरब प्रकाश वर्ष दूर और सूर्य से क्रमशः सात और 12 गुना अधिक भार वाले दो हल्के ब्लैक होल के आपस में मिलने से इन तरंगों की खोज हुई है।
दोनों ब्लैक होल जब आपस मिले तो इनका द्रव्यमान सूर्य से 18 गुना ज्यादा था। लेजर इंफ्रोमीटर ग्रेविटेशनल वेव्स ऑब्जर्वेट्री (लिगो) परियोजना और इटली स्थित वर्गो डिटेक्टर से जुड़े वैज्ञानिक इस खगोलीय घटना से इस वर्ष जून को रूबरू हुए।
हालांकि तीन अन्य खोजों को समझने के लिए अधिक समय लगने की वजह से इसकी घोषणा में देरी हुई। इन खोजों से ब्रह्माांड की उत्पत्ति से जुड़े रहस्य से पर्दा उठ सकेगा। ‘जीडब्ल्यू170608’ सबसे हल्का ब्लैक होल है।
पहली बार इन तरंगों की 14 सितंबर 2015 को खोज हुई थी। तब इसे सदी की महान खोज कहा गया था। वैज्ञानिकों का मानना है कि कई खरब साल पहले जब इस सृष्टि की शुरुआत भी नहीं हुई थी, तब दो विशालकाय ब्लैक होल्स आपस में टकराए थे।
उनकी टक्कर से बड़ी मात्रा में ऊर्जा निकली थी। इतनी ऊर्जा कि हजारों सूर्य की ऊर्जा भी मिला दें, तो उसके सामने फीकी पड़ जाए। इसके साथ ही कई तरंगें भी पैदा हुईं और पूरे ब्रह्माांड में फैल गईं। इन्हीं तरंगों को गुरुत्वाकर्षण तरंग कहा जाता है।