कलेक्टर-कमिश्नर कांफ्रेस के जरिए सीएम ने दिया सुशासन, विकास और जनसेवा का संदेश

(नीलिमा तिवारी)
(गजानंद फीचर सेवा)
राजधानी भोपाल में आयोजित कलेक्टर-कमिश्नर कांफ्रेस के बहाने डॉ. मुख्यमंत्री मोहन यादव ने प्रदेश के आलेजा को सुशासन, विकास और जनसेवा का संदेश दिया है। उनकी सोच है कि मध्य प्रदेश में केवल सरकार बनाना नहीं, बल्कि प्रशासन और जनता के संयुक्त प्रयास से विकास करना संभव है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेशभर के वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों को शासन की नई सोच, सुशासन की भावना और जनसेवा के आदर्शों से अवगत कराया। इस सम्मेलन में सरकार की ओर से विकसित मध्य प्रदेश@2047 की दृष्टि दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने तानाशाह को संदेश दिया है कि जनता का विश्वास – शासन की सबसे बड़ी पूंजी है। शासन का वास्तविक अर्थ केवल योजनाएं बनाना नहीं है, बल्कि जनता में विश्वास रखना है। सरकारी मंजूरी, सरकारी योजनाओं के निर्माण को लेकर सीएम ने अभ्यर्थियों से कहा है कि सरकारी योजनाओं में सफल होने की संभावना है, जब उनका लाभ राज्य के अंतिम व्यक्ति तक पहुंच जाएगा। यह तब संभव है जब अधिकारी अपने कार्य को एक सेवा के रूप में देखें, न कि केवल कर्तव्य के रूप में।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक अधिकारी को अपनी जिम्मेदारी से एक लोक सेवक की भावना को दूर करना चाहिए, क्योंकि प्रशासन जनता के लिए है, न कि जनता प्रशासन के लिए। उन्होंने आस्था से साझीदारी काम करने के लिए, कश्मीर में रात्रि विश्राम कर्बग्राउंडी हकीकत से रुबरु होने की सलाह दी है।
मुख्यमंत्री ने कान्फ्रेस के दौरान यह भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकार का लक्ष्य समग्र विकास है – ऐसा विकास जिसमें कोई भी व्यक्ति, क्षेत्र या वर्ग पीछे न छूटे। उन्होंने कहा कि शासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि विकास और कल्याण की किरणें सबसे पहले उस व्यक्ति तक पहुंचें जो सबसे अधिक पवित्र है।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि परिभाषा का आकलन केवल असमानता या आँकड़ों से नहीं होना चाहिए, बल्कि उनके वास्तविक प्रभाव से निर्धारित होना चाहिए। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि यदि किसी गांव में सड़क बनी है, तो केवल उसका उद्घाटन ही सफलता नहीं है, बल्कि उस सड़क से लोगों के जीवन में कितना बदलाव आया है, यह देखना वास्तविक सफलता है।
मुख्यमंत्री ने अभ्यर्थियों से अपेक्षा की है कि वे ईमानदारी, नवाचार और लग्न से कार्य करें। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि व्यवस्था में प्रतिभा, लग्न और नवीनता सबसे बड़ी पूंजी हैं। अब समय आ गया है कि अधिकारी पारंपरिक सोच से आगे बढ़ें और साझेदारों में नवीन प्रौद्योगिकी और स्थानीय समाधान अपनाएँ।
मोहन यादव का कहना है कि आज का दौर का है। हर जिले को मॉडल जिला बनाने की दिशा में काम करना होगा। अधिकारी केवल उपकरणों में न उलझें, बल्कि जमीन पर व्यापारी देखें कि योजनाएं कैसे लागू हो रही हैं।
शासन की प्लास्टिक और प्लास्टिक को सीएम ने सर्वोपरि बताया है। उन्होंने कहा कि अब जनता की शक्तियां बढ़ गई हैं और सरकार अपनी संरचना को ढीला कर देगी। उन्होंने कहा कि शासन व्यवस्था को सरल, स्थिर और विकेंद्रीकृत बनाना समय की मांग है।
अधिकारी ने यह सुनिश्चित किया कि जनता को हर सेवा में आसानी, तेजी और मजबूती मिले। उनके सुनने और समाधान करने में देरी न हो।
मुख्यमंत्री ने लोक सेवा अधिनियम के प्रभावशाली वैज्ञानिक पर भी बल दिया और कहा कि यह अधिनियम जनता के अधिकारों की रक्षा का सबसे मजबूत माध्यम है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को सलाह दी कि वे जनता, दलित और मीडिया के साथ नियमित संवाद करें।
उन्होंने एक अच्छी सलाह दी कि जो लोग घूमने जा रहे हैं। बांग्लादेश में प्रशासन स्थापित नहीं किया जा सकता।
सीएम ने अनाधिकृत रूप से यह भी कहा कि सोशल मीडिया को केवल आलोचना का मंच न समझा जाए, बल्कि इसे जनता से संवाद का एक बढ़ावा माध्यम बनाया जाए।
मुख्यमंत्री ने इस सम्मेलन के माध्यम से विकसित मध्य प्रदेश@2047 विजन पर विशेष जोर दिया।
उन्होंने कहा कि भारत 2047 से आजादी के 100 साल पूरे होने तक, तब तक मध्य प्रदेश को एक विकसित, आत्मनिर्भर और गरीब राज्य के रूप में स्थापित करने वाली सरकार का संकल्प है।
इसके लिए उन्होंने पांच प्रमुख आयामों पर फोकस करने को कहा है। इनमें शिक्षा एवं कौशल विकास, स्वास्थ्य एवं पोषण, कृषि एवं ग्रामीण संपदा, औद्योगिक एवं रोजगार सृजन, सांस्कृतिक एवं ग्रामीण संतुलन शामिल है।
सीएम ने कहा कि प्रशासन को इन पांचों जिलों में समन्वित और समन्वित दृष्टिकोण से काम करना होगा।
सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने आगामी सिंहस्थ-2028 का भी उल्लेख किया।
उन्होंने कहा कि यह केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक अस्मिता का प्रतीक है। सिंहस्थ के माध्यम से हमें अपने मंदिरों, खड्डों और भारतीय संस्कृति के गौरव को विश्व पटल पर स्थापित करने का अवसर मिलेगा।
उन्होंने धार्मिक स्थलों के सौंदर्यीकरण, यातायात प्रबंधन, पर्यावरण संरक्षण और स्वतंत्रता पर विशेष ध्यान दिया। उन्होंने सभी धार्मिक स्थलों को अंतरराष्ट्रीय स्तर के पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने पर भी जोर दिया।
उन्होंने कहा कि ई-अवेन्टेंस के माध्यम से प्लांट और पार्टिकल्स दोनों में सुधार आ गया है, और अब इसे हर स्तर पर लागू करना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक जिले में डिजिटल सेवा केंद्र को और अधिक बढ़ावा दिया जाए, जिससे ग्रामीण क्षेत्र के नागरिकों को भी सरकारी सेवाओं का लाभ ऑनलाइन प्राप्त हो सके।
उन्होंने अधिकारियों से कहा कि टेक्निकल यूनिवर्सिटी में अब वैज्ञानिक योग्यता अनिवार्य रूप से शामिल हो गई है। जो अधिकारी प्रौद्योगिकी के साथ-साथ ईसाई धर्म, वही भविष्य के प्रशासन की स्थापना।
मुख्यमंत्री ने युवा अधिकारियों से कहा कि वे नई सोच और ऊर्जा के साथ काम करें।
उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी के पास तकनीकी समझ, जिज्ञासा और साहस है – मध्य प्रदेश में युवाओं को आगे ले जाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि युवा अधिकारी अपने-अपने कपड़े में नवीनता का प्रयोग करें। अगर वह स्वतंत्रता हो, शिक्षा सुधार हो या पर्यावरण संरक्षण।
उन्होंने कहा कि कई चमत्कारिक नवीन योजनाएं सफल हो रही हैं, जिन्हें अब पूरे प्रदेश में लागू किया जा सकता है।
सीएम ने कहा कि शासन सिर्फ विकास की बात नहीं है, बल्कि मानव तानाशाही, संवेदना और लोकतंत्र की बात भी संवैधानिक है। एक सच्ची बात यह है कि जो जनता के सुख-दुःख को समझे। केवल आदेश देना प्रशासन नहीं है, बल्कि जनता के साथ प्रशासन रहना है।
उन्होंने कहा कि समाज में विश्वास तभी सीमित है जब प्रशासन जनता के प्रति संवेदनशीलता और उत्तर देगा।
उन्होंने यह भी कहा कि सुशासन का मतलब केवल निर्देश नहीं है, बल्कि सुशासन के साथ कार्य करने की क्षमता भी है।
मुख्यमंत्री ने इंजीनियर से यह भी कहा कि
प्रशासन को केवल सरकारी व्यवस्था न आरक्षण, बल्कि इसे समाज सेवा और राष्ट्र निर्माण का माध्यम माना जाता है। उन्होंने कहा कि हर अधिकारी को यह याद रखना चाहिए कि उनके फैसले से हजारों लोगों का जीवन प्रभावित हो। निर्णय लें समय जनता के हित को सर्वोपरि स्थान।
उन्होंने सभी अधिकारियों से अपने परिसर में सेवा, सादगी और दान की भावना से काम करने का आग्रह किया।
मुख्यमंत्री ने विश्वास जताया कि यदि अधिकारी विश्वसनीयता, बिशप और बिशप से कार्य करते हैं, तो मध्य प्रदेश आने वाले वर्षों में देश के प्रमुख राज्यों में शामिल होंगे।
यह सम्मेलन केवल सार्वभौमिक समीक्षा का मंच नहीं है, बल्कि शासन की दिशा और दृष्टि तय करने का अवसर साबित हुआ है। यह संवाद लोकसेवा से लोकविश्वास तक की भावना को साकार करने वाला साबित हुआ।
(गजानंद सुविधा सेवा)