CWG 2018: सिरिंज विवाद के बाद बढ़ी भारतीयों की मुश्किलें, खेलगांव पहुंचते ही किया जा रहा डोप टेस्ट

गोल्ड कोस्ट: ऑस्ट्रेलिया में कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 शुरु होने से पहले हुए ‘सिरिंज विवाद’ में भारतीय खिलाड़ियों की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही हैं। खेल गांव (गोल्ड कोस्ट) में कुछ खिलाड़ियों के कमरे के बाहर कथित रूप से नीडल (सुई) पाई गई थी जिसके बाद यह विवाद पैदा हो गया।रिपोर्ट्स के मुताबिक, राष्ट्रमंडल खेल महासंघ (सीजीएफ) ने अब लगभग हर भारतीय खिलाड़ी के डोप टेस्ट के आदेश दे दिए हैं।डोपिंग को रोकने के लिए सीजीएफ ने ‘नो सिरिंज पॉलिसी’ बना रखी है, बावजूद इसके सिरिंज मिलीं। इस वजह से अब अलग-अलग बैच में आ रहे भारतीय खिलाड़ियों का डोप टेस्ट किया जा रहा है। इतना ही नहीं सिरिंज मामला कॉमनवेल्थ गेम्स फेडरेशन कोर्ट भी पहुंच चुका है। इस मामले में भारत पर ‘नो सिरिंज पॉलिसी’ का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है।

भारतीय दल के एक शीर्ष अधिकारी ने इस मलसे पर कहा, ‘किसी तरह का डोपिंग उल्लंघन नहीं हुआ है क्योंकि सिरिंज का उपयोग ‘मल्टी-विटामिन’ का इंजेक्शन लेने के लिये किया गया था। मुक्केबाजों का परीक्षण किया गया था और अगर किसी तरह का उल्लंघन होता तो हमें अब तक पता चल गया होता।’ उन्होंने कहा, ‘हमें अब सीजीएफ के फैसले का इंतजार है।’ इस बीच सीजीएफ सीईओ ने कहा कि संबंधित राष्ट्रमंडल खेल संघ के स्पष्टीकरण के आधार पर सजा तय की जाएगी। खेलों की आयोजन समिति के चेयरमैन पीटर बीटी ने कहा कि इस मामले से पूरी पारदर्शिता के साथ निपटा जाएगा।उन्होंने कहा, ‘(चिकित्सा आयोग की) रिपोर्ट में संबंधित सीजीए की गवाही शामिल होगी। उसे आगे के विचार विमर्श और उपयुक्त सजा तय करने के लिये हमारे महासंघ की अदालत के पास भेजा जाएगा।’ बीटी ने कहा, ‘इसमें पूरी पारदर्शिता रखी जाएगी और कुछ भी छिपाया नहीं जाएगा।’सीजीएफ की किसी तरह की नीडल (सुई) साथ में नहीं रखने की नीति किसी तरह की चिकित्सा सहायता के बिना इंजेक्शन लेने से रोकती है। इस नीति में केवल उन खिलाड़ियों के लिये ढिलायी बरती गयी है जिनके लिये किसी चिकित्सक की देखरेख में कोई दवा या पोषक तत्व लेना जरूरी है। सीजीएफ ने हालांकि कहा कि खिलाड़ी को पूर्व में मंजूरी लेनी चाहिए और ऐसा नहीं करने पर उस पर अनिर्दिष्ट प्रतिबंध लगाये जा सकते हैं।