तर्पण, पूजन और दान कर दी पितरों की विदाई, सिद्धवट, रामघाट, गयाकोटा तीर्थ पर लोगों ने किए पिंडदान

उज्जैन  ।  सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों की विदाई की जाती है। आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को ही सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है। इस दिन सभी पितरों का श्राद्ध कर्म किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि 16 दिन के श्राद्ध के दौरान किसी व्यक्ति का श्राद्ध किसी कारण से छूट…

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पिंडदान क्यों है जरूरी

सनातन धर्म में मान्यता है कि अगर पितरों की आत्मा को मोक्ष नहीं मिला है, तो उनकी आत्मा भटकती रहती है। इससे उनकी संतानों के जीवन में भी कई बाधाएं आती हैं, इसलिए गया जाकर पितरों का पिंडदान जरूरी माना गया है। हिंदू धर्म में पितृपक्ष के दौरान पिंडदान किया जाता है। इस समय अपने…

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