China US relations : अमेरिकी प्रतिबंध पर चीन ने जताया विरोध

बीजिंग। उत्तर कोरिया के साथ अवैध व्यापार के सिलसिले में चीनी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने के अमेरिका के फैसले का चीन ने विरोध किया है। अमेरिका ने शुक्रवार को 27 कंपनियों और 28 जहाजों पर उत्तर कोरिया से कारोबार के सिलसिले में प्रतिबंध लगाया है। ये कंपनी और जहाज चीन, हांगकांग, ताइवान और सिंगापुर के हैं। प्रतिबंधित कंपनियां और जहाज अमेरिका और उसके मित्र देशों में कारोबार नहीं कर सकेंगे। जहाजों को बंदरगाहों पर लंगर डालने से भी रोका जा सकता है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि इन प्रतिबंधों का उद्देश्य उत्तर कोरिया को उसके परमाणु हथियारों के विकास से रोकना है। उत्तर कोरिया ने अमेरिकी शहरों पर परमाणु हमले की धमकी दी हुई है। माना जा रहा है कि ये कंपनियां और जहाज पूर्व में लागू संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रतिबंधों का पालन नहीं कर रही थीं और उत्तर कोरिया के तेल व कोयला कारोबार से जुड़ी थीं। अमेरिका ने इन कंपनियों और जहाजों की सूची सुरक्षा परिषद को भी सौंप दी है जिससे इन पर विश्वव्यापी प्रतिबंध लगाया जा सके। पता चला है कि अवैध व्यापार कर रही कुछ कंपनियों ने निगरानी एजेंसियों को चकमा देने के लिए मार्शल द्वीप, तंजानिया, पनामा और कोमोरोस में अपना पंजीकरण करा रखा है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जेंग शुआंग ने कहा, चीन अमेरिका के इन एकतरफा प्रतिबंधों का विरोध करता है। इनमें चीन के जिन लोगों और कंपनियों को निशाना बनाया गया है, वह गलत है। प्रवक्ता ने कहा, हम जल्द ही इस बाबत अमेरिका से बात करेंगे और इस प्रतिबंध को खत्म करने के लिए कहेंगे। इस तरह के प्रतिबंध से दोनों देशों के सहयोग पर फर्क पड़ेगा। चीनी प्रवक्ता ने कहा, हम चीन के किसी व्यक्ति या कंपनी को सुरक्षा परिषद के प्रतिबंधों का उल्लंघन करने की अनुमति नहीं देंगे। उल्लेखनीय है कि चीन उत्तर कोरिया का सबसे बड़ा व्यापार सहयोगी है। 90 फीसद से ज्यादा कोरियाई कारोबार चीन के साथ होता है। इसलिए अमेरिका बार-बार चीन पर दबाव डालकर कह चुका है कि वह उत्तर कोरिया के साथ अपना व्यापार पूरी तरह से बंद करे लेकिन वैसा नहीं हो रहा है।