कलेक्टर की कार्यवाही से पहले न्यायालय नहीं जाएंगे गौवंश वध के मामले

 

भोपाल। 28 जून

राज्य सरकार गौवंध वध को लेकर बड़े बदलाव करने जा रही है। गौवंश वध और अवैध परिवहन के मामलों में जिला कलेक्टर की कार्यवाही से पहले इस मामले से जुड़े लोग, वाहन स्वामी न्यायालय नहीं जा सकेंगे। वहीं

इसको लेकर संशोधन विधेयक राज्य सरकार कैबिनेट में लाएगी और वहां से मंजूरी मिलने के बाद इन्हें विधानसभा के बजट सत्र में पेश किया जाएगा। चर्चा के बाद इन्हें पारित कर लागू किया जाएगा।

मुख्य सचिव वीरा राणा की अध्यक्षता में हुई वरिष्ठ सचिव समिति की बैठक में इन बड़े बदलावों पर सहमति प्रदान कर दी गई है। प्रदेश में गौवंश वध का प्रतिषेध करने और गौवंश के परिरक्षण तथा संरक्षण के लिए गौवंश गौवंश वध प्रतिषेध अधिनियम 2004 लागू है। अब इस अधिनियम की धारा 11 (5)के बाद उपधारा छह और सात स्थापित की जाएगी। चार या अधिक गौवंश के परिवहन और गौवंश वध की मंशा से ले जाने वाले वाहनों को राजसात किए जाने के लिए कलेक्टर द्वारा कार्यवाही शुरु कर दिए जाने के बाद कलेक्टर इसकी सूचना न्यायायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय को दी जाएगी इसके बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय को ऐसे वाहनों को सुपर्दगी में देने का अधिकार नहीं होगा। अभी पुलिस द्वारा वाहन और गौवंश के अधिग्रहण करने के बाद वाहन स्वामी सीधे जूडिशरी न्यायालय चले जाते है और वहां से वाहन सुपुर्दगी में प्राप्त कर लेते है। अब ऐसा नहीं हो सकेगा। अपराध सिद्ध होंने पर सात अधिकतम सात वर्ष का कारावास हो सकेगा। अपराध करते पकड़े जाने पर सबूत का भार अभियुक्त पर होगा।