27 विभागों के 274 मामलों में लोकायुक्त को नहीं मिल रही अभियोजन स्वीकृति, रमेश थेटे सहित 11 आईएएस पर होना है कार्रवाई

EOW को 36 मामलों में 88 सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों पर अभियोजन स्वीकृति नहीं
भोपाल,तीन जुलाई।
भ्रष्टाचार, वित्तीय अनियमितता,गबन-घोटाले से जुड़े 27 विभागों के 274 मामलों में लोकायुक्त संगठन रमेश थेटे सहित एक दर्जन आईएएस अफसरों और हजारों अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति का इंतजार कर रहा है। अभियोजन स्वीकृति प्रशासकीय विभागों को देना है लेकिन सरकारी विभागों के जिम्मेदार अफसर इन अफसरों के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए लोकायुक्त को अभियोजन स्वीकृति नहीं दे रहे है। वहीं आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ को 36 मामलों में 88 सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों और अन्य लोगों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति नहीं दिए जाने से ये दोनो जांच एजेंसियां लाचार नजर आ रही है और इन मामलों में जुड़े आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं हो पा रही है।
सामान्य प्रशासन विभाग के पांच सितंबर 2014 में जारी निर्देशों के अनुसार अभियोजन स्वीकृति देने के अधिकार प्रशासकीय विभाग को सौपे गए है। अभियोजन स्वीकृति जारी करने के संबंध में प्रशासकीय विभाग और विधि विभाग के मतों में भिन्नता होंने पर प्रकरण प्रशासकीय विभाग द्वारा मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित मंत्रिपरिषद समित में प्रस्तुत करने सामान्य प्रशासन विभाग को प्रस्तुत किया जाता है। प्रशासकीय विभाग द्वारा मंत्रिपरिषद के निर्णय के अनुसार आदेश जारी किए जाते है। शासकीय सेवकों के विरुद्ध अभियोजन स्वीकृति देने के संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग ने पांच सितंबर 2014, 5 अगस्त 2016,21 अप्रैल 2017 और 11 अप्रैल 2017 और 24 नवंबर 2016 को निर्देश जारी कर प्रक्रिया तय की है। नियम और प्रक्रिया तय होंने के बाद भी हजारों की संख्या में अफसरों पर प्रकरण अभियोजन स्वीकृति के लिए लंबित है।
लोकायुक्त में विभागवार अभियोजन स्वीकृति के लंबित मामले-
27 विभागों में 274 मामलों में अभियोजन स्वीकृति लंबित है इनमें नगरीय प्रशासन आवास एवं विकास विभाग में सर्वाधिक 36, सामान्य प्रशासन विभाग में पैतीस, राजस्व विभाग में तीस, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में 18, जलसंसाधन विभाग में 7, सहकारिता विभाग में 8, लोक निर्माण विभाग में 7, स्वास्थ्य में दस, राज्य के निकायों के पास 88 मामले लंबित है। जिन विभागों में अभियोजन स्वीकृति के मामले लंबित है उनमें गृह, वन, जनजातीय कार्य, वाणिज्यकर, वित्त, महिला बाल विकास, स्कूल शिक्षा, खाद्य, संसदीय कार्य, पिछड़ा वर्ग, उद्यानिकी, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, कृषि, होमगार्ड, विमानन विभाग शामिल है।
इन आईएएस और अन्य अफसरों के खिलाफ लोकायुक्त को अभियोजन स्वीकृति नहीं- आईएएस अफसरों में रमेश थेटेके खिलाफ सर्वाधिक 25 मामलों में अभियोजन स्वीकृति नहीं दी गई है। ये उनके अपर आयुक्त उज्जैन, लोक सेवा प्रबंधन में उपसचिव के पद पर पदस्थ रहने के दौरान दर्ज किए गए थे। इनके अलावा भिंड के तत्कालीन कलेक्टर अखिलेश श्रीवास्तव, अमरवाड़ा के एसडीओ फरतउल्ला खान, एसडीएम भिंड मनोज माथुर और तत्कालीन कलेक्टर भिंड शिवपाल सिंह, कटनी नगर निगम के तत्कालीन आयुक्त लक्ष्मीकांत द्विवेदी पर एक मामला है। ग्वालियर नगर निगम के तत्कालीन आयुक्त विवेक सिंह पर चार मामले है। उज्जैन के सेवानिवृत्त कलेक्टर अजातशत्रु श्रीवास्तव, तत्कालीन कलेक्टर बृजमोहन श्रीवास्तव, तत्कालीन कलेक्टर कवीन्द्र कियावत और संचालक विमानन अरुण कोचर सहित पैतीस मामलों में सैकड़ो अफसरों के खिलाफ सामान्य प्रशाासन विभाग की ओर से अभियोजन की स्वीकृति नहीं दी गई है।
आबकारी विभाग-आबकारी विभाग में जिला आबकारी अधिकारी कटनी आरपी त्रिवेदी, उप पंजीयक उज्जैन माखनलाल पटेल सहित पांच पर लोकायुक्त को अभियोजन स्वीकृति लंबित है।
आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो को इन पर अभियोजन स्वीकृति का इंतजार-
योगेन्द्र शर्मा तत्कालीन कलेक्टर विदिशा, अमीर बक्श कार्यपालन अधिकारी वक्फ बोर्ड, वायएस चौहान तत्कालीन ललित दाहिमा उपसचिव खाद्य, पवन जैन तत्कालीन अनुभाग अधिकारी सांवेर, जयंतीलाल पूर्व महापौर रतलाम, मनोहर लाल शर्मा संपत्ति कर अधिकारी नगर पालिका रतलाम, राम शिरोमणि त्रिपाठी सीईओ भिंड, राजीव सुकलीकर तत्कालीन मुख्य अभियंता जलसंसाधन, लालजी मिश्रा तत्कालीन अधीक्षक केन्द्रीय जेल भोपाल।