चार धाम यात्रा स्पेशलः ये हैं यमुनोत्री का रास्ता, आएंगे 8 पड़ाव
समुद्र तल से 3293 मीटर यानी 10804 फुट ऊंचाई पर है। महाराजा प्रताप शाह टिहरी गढ़वाल ने काले मार्बल से इस मंदिर का निर्माण करवाया था। मूल मंदिर निर्माण को लेकर यह भी कहा जाता है कि जयपुर की महारानी गुलेरिया ने 19वीं सदी में इसका निर्माण करवाया था। यमुनोत्री से निकलकर यह नदी उत्तराखंड़, उत्तरप्रदेश हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली पहुंचती है। इलाहाबाद में यह गंगा में आकर मिलती है।
कब खुलते हैं दर्शन
प्रति वर्ष अक्षय तृतीया (आखातीज) को मंदिर के पट खुलते हैं और दीपावली पर इसके पट बंद हो जाते हैं। इस दौरान सम्पूर्ण घाटी मनुष्य विहीन नजर आती है और बर्फ से ढक जाती है।
यमुनोत्री के सुरम्य स्थानों के दर्शन करने के लिए यहां क्लिक करें
यमुनोत्री की कथा
वेदों, उपनिषदों और विभिन्न पौराणिक आख्यानों में इसका उल्लेख है। देवी के महत्व और उनके प्रताप का जिक्र है। पुराणों में यमुनोत्री के साथ असित ऋषि की कथा भी जुड़ी है। कहा जाता है कि वृद्धावस्था के कारण असित ऋषि कुंड में स्नान करने नहीं जा पाते थे। उनकी श्रद्धा देखकर यमुना स्वयं उनकी कुटिया में ही प्रकट हो गई। इसी स्थान को यमुनोत्री कहा जाता है। कालिन्द पर्वत से निकलने के कारण इसे कालिन्दी भी कहा जाता है।