नोटबंदी से नहीं बनने वाली बात, काले धन पर अंकुश के लिए उठाने होंगे और कदम: UN

काले धन पर अंकुश लगाने के लिए सिर्फ नोटबंदी काफी नहीं है। सभी प्रकार की अघोषित संपत्ति का पता लगाने के लिए और भी कई कदम उठाने होंगे। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की रिपोर्ट में यह बात कही गई है। सबको चौंकाते हुए छह महीने पहले यानी आठ नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुराने 500 और 1000 के नोट बंद करने का एलान किया था। इससे प्रणाली से करीब 87 फीसद करेंसी बाहर निकल गई थी।
संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट का शीर्षक है- एशिया और प्रशांत 2017 का आर्थिक व सामाजिक सर्वेक्षण। इसके मुताबिक, भारत में काले धन की अर्थव्यवस्था का आकार जीडीपी के लगभग 20-25 फीसद के दायरे में है। मूल्य के लिहाज से इसमें नकदी की हिस्सेदारी करीब 10 फीसद होने का अनुमान है।
रिपोर्ट कहती है कि अकेले नोटबंदी से भविष्य में नई करेंसी में काले धन के प्रवाह का रास्ता नहीं रुकेगा। सभी तरह की अघोषित संपत्ति पर वार करने के लिए पूरक उपायों की भी जरूरत होगी। व्यापक संरचनात्मक सुधार भी पारदर्शिता बढ़ाने में योगदान कर सकते हैं। इनमें वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), आय घोषणा स्कीम और करदाता पहचान संख्या के माध्यम से ऊंचे मूल्य के लेनदेन पर नजर शामिल हैं।
इस बीच प्रख्यात अर्थशास्त्री व वित्त मंत्रलय में पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने ट्वीट करके कहा कि नोटबंदी को छह महीने बीत चुके हैं। अब समय आ गया है कि पता लगाया जाए कि इससे क्या हासिल हुआ।
टोक्यो में उद्योग चैंबर सीआइआइ की ओर से आयोजित एक सत्र में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि नोटबंदी के बाद सिस्टम में दोबारा नकदी डालने का काम काफी हद तक पूरा हो चुका है। इस कदम से देश में कर आधार बढ़ेगा। जेटली बोले कि टैक्स नियमों का अनुपालन करने के मामले में भारतीय समाज कमजोर रहा है। ज्यादातर लेनदेन नकदी में होता आया है। इस समस्या का समाधान करने की जरूरत थी। राजनीतिक साहस के बगैर ऐसा नहीं किया जा सकता था।