बजट: शिवराज के पूर्व वित्तमंत्री बोले- चुनावी बजट में रोजगार का वादा तो होगा, लेकिन…

भोपाल। शिवराज सरकार अपने इस कार्यकाल का अंतिम बजट पेश करने जा रही है। चुनावी साल होने की वजह से आम लोगों को बजट के लोक-लुभावन होने की उम्मीद है। माना जा रहा है कि आगामी चुनाव में इस साल का बजट भी अहम भूमिका निभाएगा। हालांकि शिवराज सरकार के पूर्व वित्त मंत्री राघव जी बजट के बारे में मिली-जुली राय रखते हैं।

पूर्व वित्त मंत्री की नज़र में प्रदेश का आगामी बजट लोक-लुभावन तो होगा, लेकिन सरकार न तो टैक्स में राहत दे पाएगी और न ही रोजगार दे पाएगी। राघव जी के मुताबिक चुनावी साल होने की वजह से सरकार बजट में रोजगार का वादा तो करेगी, लेकिन उसके लिए युवाओं को रोजगार देना मुश्किल होगा। उन्होंने आगे कहा कि इतना जरूर हो सकता है कि पटवारियों की रुकी हुई नियुक्ति दे दी जाए, शिक्षकों को नियुक्ति दे दी जाए। लेकिन, रोजगार की समस्या वैसी ही बनी रहेगी।
किसान और कर्मचारियों पर देना होगा ध्यान
वहीं किसानों और कर्मचारियों की बात करते हुए राघव जी ने कहा कि चुनावी बजट के हिसाब से इन दोनों वर्गों पर खासा ध्यान देना होगा क्योंकि ये दोनों वर्ग बड़े वर्ग हैं। उन्होंने कहा कि किसानों के लिए सरकार ने जो घोषणाएं की हैं उनके लिए केंद्र से तो बहुत कम पैसा मिलेगा राज्य सरकार को ही इसका इंतजाम करना होगा। उन्होंने कहा कि दैनिक वेतन भोगियों, अतिथि शिक्षकों, स्वास्थ्यकर्मियों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की समस्याएं मुंह बाए खड़ी हैं, सरकार को इनका भी समाधान करना होगा।

टैक्स में नहीं मिल सकेगी कोई राहत
वहीं जीएसटी में राहत की बात पर राघव जी ने कहा कि सरकार चाहकर भी जीएसटी में कोई हेरफेर नहीं कर सकती क्योंकि राज्य सरकारों के पास से अब ये अधिकार चला गया है। जबकि अन्य टैक्सों के बारे में उन्होंने कहा टैक्स में कमी की कोई गुंजाइश नहीं है क्योंकि टैक्स कम करेंगे तो विकास कार्य प्रभावित होंगे साथ ही चुनावी साल में किये गये वादे भी पूरे नहीं कर सकेंगे।

आसान नहीं है चुनाव, लोक-लुभावन होगा बजट
2003 से लेकर 2013 तक लगातार दस बार बीजेपी सरकार की ओर से बजट पेश करने वाले राघव जी मानते हैं कि प्रदेश में हुए उपचुनावों और निकाय चुनाव में जिस तरह के परिणाम आये हैं उसे देखते हुए सरकार ने मुंगावली-कोलारस चुनाव में भी पूरी ताकत झोंक दी है। सरकार के जहन में ये बात है कि इस बार का चुनाव आसान नहीं है इसलिए जो वर्ग नाराज हैं उन्हें लुभाने की पूरी कोशिश बजट में दिखाई देगी।