गाजली के नाम से जाना जाता है इस राजा का खजाना,आज भी तहखाने में दफन है अरबों की संपत्ति
ग्वालियर। देशभर में फेमस सिंधिया रॉयल फैमिली के ग्वालियर किले में आज भी खजाना दबे होने की बात सामने आती रहती है। यहां ग्वालियर किले के गुप्त तहखानों के अंदर अरबों का खजाना दबा हुआ है। इस खजाने को गंगाजली के नाम से भी जाना जाता है। ग्वालियर किले के गुप्त तहखानों में सिंधिया के महाराजा ने करोड़ों का खजाना रखवाया था। सदियों से ये किस्से कहे जाते हैं, सुनाए जाते हैं व सुने भी जाते हैं। कुछ लोग इन पर विश्वास करते हैं, तो कुछ इन्हें सिर्फ पुरानी कहानियां मानते हैं। लेकिन जब भी इनकी हकीकत सामने आई है, लोग हैरान भी हुए हैं।
एक ऐसी ही कहानी आज हम आपको बताने जा रहे हैं, जो न सिर्फ किस्से कहानियों में आज भी जिंदा है, बल्कि इसके होने के पुख्ता सबूत भी मौजूद हैं। ये किस्सा है ग्वालियर राजघराने के गंगाजली खजाने का। ग्वालियर फोर्ट के गुप्त तहखानों में सिंधिया के महाराजा ने करोड़ों का खजाना रखवाया था। इन तहखानों को गंगाजली का नाम दिया गया था। यहां तक पहुंचने के रास्तों का रहस्य कोड वर्ड के तौर पर बीजक में महफूज रखा गया। जयाजीराव ने 1857 के संघर्ष के दौरान बड़ी मुश्किल से पूर्वजों के इस खजाने को विद्रोहियों और अंग्रेज फौज से बचा कर रखा।
खजाने को खोने का लगा रहता था डर
बीजक का रहस्य सिर्फ महाराजा जानते थे। बताया जाता है कि सन 1857 के गदर के दौरान महाराज जयाजीराव सिंधिया को यह चिंता हुई कि किले का सैनिक छावनी के रूप में उपयोग कर रहे अंग्रेज कहीं खज़ाने को अपने कब्जे में न ले लें। साल 1886 में किला जब दोबारा सिंधिया प्रशासन को दिया गया, तब तक जयाजीराव बीमार रहने लगे थे।
वे अपने वारिस माधव राव सिंधिया द्वितीय को इसका रहस्य बता पाते, इससे पहले ही उनकी मृत्यु हो गई। लेकिन माधवराव के भाग्य का सितारा अभी चमकने वाला था। एक दिन माधवराव अपने किले के एक गलियारे से गुजऱ रहे थे। इस रास्ते की तरफ कोई आता-जाता नहीं था। उस रास्ते से गुजऱते हुए अचानक माधवराव का पैर फिसला और ठोकर लग गई। खुद को संभालने के लिए उन्होंने पास के एक खंभे को पकड़ा। आश्चर्यजनक रूप से वह खंभा एक तरफ झुक गया और एक गुप्त छुपे हुए तहखाने का दरवाज़ा खुल गया।
करोड़ों का खजाना और चांदी के है सिक्के
माधवराव ने अपने सिपाहियों को बुलाया और तहखाने की छानबीन की। उस तहखाने से माधवराव सिंधिया को 2 करोड़ चांदी के सिक्कों के साथ अन्य बहुमूल्य रत्न मिले। इस खजाने के मिलने से माधवराव की आर्थिक स्थिति में बहुत मजबूत हो गई।
ज्योतिषी की मौत के साथ रहस्य बना खजाना
खजाने का एक तहखाना तो मिल गया था, लेकिन गंगाजली के बाकी खजानों की खोज तो अभी बाकी ही थी। लिहाजा,अंग्रेजों की गतिविधियां खत्म होने के बाद एक बार फिर महाराज माधवराव सिंधिया द्वितीय ने खजाने की खोज शुरू की। इसमें उनकी मदद के लिए उनके पिता के समय का एक बुजुर्ग ज्योतिषी आगे आया। उसने महाराज के सामने शर्त रखी कि उन्हें बगैर हथियार अकेले उसके साथ चलना होगा। महाराज राजी हो गए।
एक ठोकर से मिला करोड़ों का खजाना, तहखाने में दफन है अरबों की संपत्ति
ज्योतिषी महाराज माधवराव द्वितीय को अंधेरी भूलभुलैयानुमा सीढिय़ों से नीचे ले जाता हुआ गंगाजली के एक तहखाने तक ले भी गया था। इसी दौरान महाराजा को अपने पीछे कोई छाया नजर आई, तो उन्होंने बचाव में अपने राजदंड से अंधेरे में ही प्रहार किया और दौड़ कर ऊपर आ गए। ऊपर खड़े सैनिकों को साथ ले कर जब वे वापस आए, तब उन्हें पता चला कि गलती से उन्होंने ज्योतिषी को मार दिया है। लिहाजा, वह एक बार फिर वो बाकी खज़ाने से वंचित रह गए।
माधव राव द्वितीय जब बालिग हुए, तब तक खानदान में गंगाजली खजाने को लेकर ऊहापोह और बेचैनी रही। इसी दौरान अंग्रेज कर्नल बैनरमेन ने गंगाजली की खोज में उनकी सहायता का प्रस्ताव दिया।सिंधिया खानदान के प्रतिनिधियों की निगरानी में कर्नल ने गंगाजली की बहुत तलाश की, लेकिन पूरा खजाना नहीं मिल सका।