पानी पर भारत-पाक में चर्चा, उरी अटैक के 6 महीने बाद फिर शुरू हो रही बात

उरी हमले से बंद पड़ी शांति वार्ता के करीब छह महीने बाद आज भारत और पाकिस्तान फिर से बातचीत शुरू कर रहे हैं. इस्लामाबाद में 10 लोगों का भारतीय प्रतिनिधिमंडल सिंधु जल समझौते पर पाकिस्तान से बात करेगा.
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में स्थाई सिंधु आयोग (पीआईसी) की बैठक में भाग लेने के लिए 10 सदस्यीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल में भारत के सिंधु जल आयुक्त पीके सक्सेना, विदेश मंत्रालय के अधिकारी और तकनीकी विशेषज्ञ शामिल हैं.

वरिष्ठ पाकिस्तानी अधिकारियों और भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों ने वाघा सीमा पर प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया. वाघा सीमा पर पहुंचे मीडिया कर्मियों को प्रतिनिधिमंडल तक पहुंचने नहीं दिया गया. यहां पहुंचने के बाद प्रतिनिधमंडल कड़ी सुरक्षा के बीच सड़क के रास्ते इस्लामाबाद के लिए रवाना हो गया.

57 साल पुरानी इस संधि को लेकर आज के बैठक का एजेंडा क्या होगा, अभी इसे अंतिम रूप नहीं दिया गया है. भारत ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि इस संधि के तहत वह अपने उचित अधिकारों का दोहन नहीं करने देगा.

उरी आतंकी हमले के बाद भारत की ओर से इस संधि पर बातचीत नहीं करने का फैसला करने के छह महीने के उपरांत यह बैठक होने जा रही है।
वहीं पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के बारामूला और करगिल जिलों में बनी 240 मेगावाट की उरी-2 परियोजना तथा 44 मेगावाट की चटक परियोजना को लेकर आपत्ति जताते हुए कहा था कि इनकी वजह से वह अपने हिस्से के पानी से वंचित रह जाएगा.

बहरहाल, मई, 2010 में हुई बैठक में जब भारतीय पक्ष ने इन परियोजनाओं के बारे में विवरण दिया तो पाकिस्तान ने अपनी आपत्ति वापस ले ली. इसी तरह पाकिस्तान पाकल डल, रातले, किशनगंगा, कलनाई परियोजनाओं को लेकर भी आपत्ति जताता रहा है.
उसने पिछले साल अगस्त में विश्व बैंक का भी रूख किया था और किशनगंगा तथा रातले परियोजनाओं का मुद्दा उठाया था. 57 साल पहले विश्व बैंक की मध्यस्थता में ही दोनों देशों के बीच यह संधि हुई थी.

वैसे, इस बात को लेकर अभी कोई स्पष्टता नहीं है कि क्या इस्लामाबाद में होने जा रही बैठक में इन दोनों परियोजनाओं से संबंधित मुद्दे उठेंगे क्योंकि ये दोनों विश्व बैंक के समक्ष लंबित हैं. सरकारी सूत्र ने कहा कि पाकल डल, मियार और लोवर कलनाई परियोजनाओं को लेकर चर्चा हो सकती है. पाकिस्तान का कहना है कि ये परियोजनाएं संधि के मुताबिक नहीं है, हालांकि भारत का पक्ष इसके विपरीत है.