गोवर्धन पर्वत को मिला था हनुमानजी के कारण ऐसा वरदान, यहां पांव रखते ही पूरी होती है इच्छाएं
कन्हैया की नगरी मथुरा में हनुमान जयंती के मौके पर राम भक्ति की सरयू प्रवाहित होती है। ब्रजभूमि यद्यपि कन्हैया की नगरी है क्योंकि यहीं पर उन्होंने मानव रूप में जन्म लिया था मगर यहां पर अन्य देवताओं के त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाए जाते हैं। हनुमान जयंती भी ब्रज के सैकड़ों हनुमान मंदिरों में बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। मंदिरों के अलावा भी जगह जगह पर अखंड रामायण का पाठ हनुमान जयंती के अवसर पर किया जाता है
गीता आश्रम वृंदावन के अधिष्ठाता महामंडलेश्वर डॉ. अवशेषानन्द ने बताया कि हनुमान जी का ब्रज आगमन त्रेता में ही हो गया था। रामेश्वरम में समुद्र पर सेतु बनाने के श्रीराम के आदेश के बाद सभी वानर पत्थर लाने लगे और सेतु का बनना शुरू हो गया। सेतु के लिए पत्थरों की कमी देख हनुमान जी गिर्राज धाम आए और उन्होंने गिरि गोवर्धन से सेतु के निर्माण के लिए चलने को कहा। गोवर्धन महाराज हनुमान जी के प्रस्ताव को सुनकर बहुत खुश हुए तथा रामेश्वर चलने को तैयार होने लगे।
डॉ. अवशेषानन्द ने बताया कि जब गोवर्धन महराज चलने ही वाले थे तभी श्रीराम का आदेश आया कि सेतु का निर्माण पूरा हो गया है तथा अब गोवर्धन पर्वत को लाने की आवश्यकता नही है। इस पर गोवर्धन महाराज बहुत दु:खी हुए कि वे भगवान के काम में न आ सके। गोवर्धन महराज ने हनुमान जी से कहा कि वे श्रीराम से जाकर कहें कि वे उनकी भी सेवा ले लें।