राष्ट्रपति चुनाव में नहीं डाल पाएंगे वोट, इस्तीफे का भी बढ़ा दबाव
भोपाल पेड न्यूज मामले में चुनाव आयोग की ओर से तीन साल के लिए अयोग्य घोषित किए गए जनसंपर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा को दिल्ली हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलने के कारण राष्ट्रपति चुनाव में उनके मतदान करने की सारी संभावनाएं लगभग खत्म हो गई हैं। चुनाव आयोग पहले ही उनको संशोधित मतदान सूची में अयोग्य घोषित कर चुका है। दिल्ली हाईकोर्ट के याचिका खारिज किए जाने के बाद अब नरोत्तम पर मंत्री पद से इस्तीफा देने का दबाव भी बढ़ गया है।
दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस इंदरमीत कौर की स्पेशल कोर्ट के समक्ष सुनवाई के दौरान गुरुवार को नरोत्तम मिश्रा की तरफ से दलील दी गई थी कि निर्वाचन आयोग ने काफी देर से फैसला लिया और उसे फैसला जल्द सुनाना चाहिए था। कहा गया कि 2008 के विधानसभा चुनाव में छपी खबरें उनके द्वारा सर्कुलेट नहीं की गई थीं। वहीं पूर्व विधायक राजेंद्र भारती की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा था कि निर्वाचन आयोग को जांच तेजी से करना चाहिए, लेकिन इसके लिए कोई समय सीमा तय नहीं है।
लंबा समय बीत जाने का ये मतलब नहीं कि भ्रष्ट आचरण माफ किया जा सकता है। पेड न्यूज का फैसला निर्वाचन आयोग की ओर से गठित विशेषज्ञ समिति ने किया था। नरोत्तम का आरोप था कि चुनाव आयोग ने अधिकार क्षेत्र के बाहर जाकर फैसला सुनाते हुए उन्हें चुनाव लडऩे के अयोग्य घोषित कर दिया। उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया था राष्ट्रपति चुनाव को देखते हुए जल्द से जल्द मामले की सुनवाई की जाए।
इस्तीफे का बढ़ा दबाव
अब दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा याचिका खारिज किए जाने के साथ ही नरोत्तम पर मंत्री पद से इस्तीफा देने का दबाव बढ़ गया है। विपक्ष उनके इस्तीफे पर अड़ा है। नेताप्रतिपक्ष ने तो यहां तक चेतावनी दी है कि अयोग्य व्यक्ति को सदन में प्रवेश नहीं दिया जाना चाहिए। यदि वे मंत्री के तौर पर आए तो वह सब कुछ होगा जो अभी तक नहीं हुआ।
किसने क्या कहा
हाईकोर्ट के आदेश का अध्ययन करने के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा। कोर्ट का आदेश यदि स्पष्ट नहीं होगा तो कानून के जानकारों और संविधान विशेषज्ञों की सलाह ली जाएगी।
– डॉ. सीतासरन शर्मा, अध्यक्ष मप्र विधानसभा
चुनाव आयोग नरोत्तम को अयोग्य घोषित कर चुका है। अब हाईकोर्ट ने भी उनकी याचिका खारिज कर दी, एेसे में उन्हें मंत्री बने रहने का अधिकार नहीं है। वे सदन में भी नहीं बैठ सकते।
– श्रीनिवास तिवारी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष
नरोत्तम अब न सदन में बैठ सकते हैं और न ही मंत्री बन सकते हैं, क्योंकि वे अयोग्य घोषित हो चुके हैं। मुख्यमंत्री मौन तोड़ें और उनसे तत्काल इस्तीफा लें।
– अजय सिंह, नेता प्रतिपक्ष मप्र विधानसभा
दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर हम विधि विशेषज्ञों से राय ले रहे हैं। हमें ऐसा महसूस होता है कि मिश्रा इस मामले में कहीं दोषी नहीं है इसलिए न्याय प्राप्ति के लिए और क्या-क्या विकल्प हो सकते हैं। उस पर विचार जारी है।
नंदकुमार सिंह चौहानभाजपा प्रदेशाध्यक्ष
मैं हाईकोर्ट का सम्मान करता हूं। दिल्ली हाईकोर्ट की डबल बैंच में अपील करुंगा। यहां से राहत न मिली तो सुप्रीमकोर्ट का दरवाजा खटखटाउंगा।
— नरोत्तम मिश्रा, संसदीय कार्यमंत्री
संविधान के प्रावधानों के तहत राज्यपाल, मुख्यमंत्री एवं विधानसभा अध्यक्ष को उन्हें तत्काल मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर देना चाहिए। पेड न्यूज वाले मामले में यह यह दूसरा फैसला है जिससे चुनाव आयोग की सर्वोच्चता और सर्वमान्यता स्वीकार्य हुई है।
-राजेन्द्र भारती, याचिकाकर्ता एवं पूर्व विधायक
कब क्या हुआ
– 23 जून को चुनाव आयोग ने नरोत्तम मिश्रा को पेड न्यूज का दोषी मानते हुए तीन साल के लिए चुनाव लडऩे से अयोग्य घोषित किया।
– 27 जुलाई को नरोत्तम ग्वालियर हाईकोर्ट बैंच में याचिका दाखिल की। प्रतिद्वंद्वी राजेन्द्र भारती ने कैबिएट लगाई।
– 8 जुलाई को ग्वालियर हाईकोर्ट ने केस जबलपुर हाईकोर्ट स्थानांतरित किया।
– 12 जुलाई को सुप्रीमकोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट में नरोत्तम की याचिका की सुनवाई के निर्देश दिए।
– 13 जुलाई को चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति चुनाव की मतदाता सूची, नरोत्तम को वोट के अधिकार से वंचित किया।
– 14 जुलाई को दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
सीएम के साथ नंदकुमार व सुहास की चर्चा…
दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला आते ही शाम 4 बजे प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान और संगठन महामंत्री सुहास भगत सीएम हाउस रवाना हो गए। वहां एससीएसटी योजनाओं से प्रदेश की पिछड़ी आबादी को जोडऩे वाले पार्टी के अभियान की समीक्षा बैठक में मंत्री नरोत्तम मिश्रा के मुद्दे पर भी चर्चा हुई। सीएम के साथ प्रदेशाध्यक्ष और संगठन महामंत्री ने इस केस की कानूनी बारीकियों पर चर्चा की। सीएम ने प्रदेश संगठन को हरसंभव डैमेज कंट्रोल के लिए कहा। प्रवक्ताओं की टीम को विधि विभाग के जानकारों की राय लेकर मिश्रा के समर्थन में बयान देने को कहा गया है। सीएम को केंद्रीय नेतृत्व को भेजी गई जानकारियों और फीडबैक से भी अवगत कराया गया। बैठक समाप्त होने के बाद प्रदेशाध्यक्ष दिल्ली रवाना हो गए।