चीन के साथ बढ़ते व्यापार घाटे पर सीतारमण ने की बातचीत

चीन के साथ बढ़ते व्यापार घाटे पर वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने वहां के अपने समकक्ष के साथ स्पष्ट बातचीत की। व्यापार घाटा चीन के पक्ष में है और यह 52 अरब अमेरिकी डॉलर को पार कर गया है। वाणिज्य मंत्री ने भारतीय आइटी और कृषि उत्पादों से घाटा पाटने की मांग की।

वर्ष 2015-16 के दौरान चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 52.68 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया। भारतीय अधिकारियों ने इस घाटे को असहनीय माना है। आइटी और फर्मा उत्पादों के लिए दबाव डालने के अलावा भारत चाहता है कि निवेश बढ़ाकर चीन घाटे की क्षतिपूर्ति करे।

दोनों देशों के मंत्रियों ने स्पष्ट रूप से विचारों का आदान-प्रदान किया। शंघाई में भारतीय वाणिज्य दूतावास के बयान में बताया गया है कि इस बातचीत का जोर भारत और चीन के बीच भविष्य में मजबूत, संतुलित और स्थायी व्यापार एवं निवेश साझीदारी पर रहा।चीन के साथ बढ़ते व्यापार घाटे पर वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने वहां के अपने समकक्ष के साथ स्पष्ट बातचीत की। व्यापार घाटा चीन के पक्ष में है और यह 52 अरब अमेरिकी डॉलर को पार कर गया है। वाणिज्य मंत्री ने भारतीय आइटी और कृषि उत्पादों से घाटा पाटने की मांग की।

वर्ष 2015-16 के दौरान चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 52.68 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया। भारतीय अधिकारियों ने इस घाटे को असहनीय माना है। आइटी और फर्मा उत्पादों के लिए दबाव डालने के अलावा भारत चाहता है कि निवेश बढ़ाकर चीन घाटे की क्षतिपूर्ति करे।

दोनों देशों के मंत्रियों ने स्पष्ट रूप से विचारों का आदान-प्रदान किया। शंघाई में भारतीय वाणिज्य दूतावास के बयान में बताया गया है कि इस बातचीत का जोर भारत और चीन के बीच भविष्य में मजबूत, संतुलित और स्थायी व्यापार एवं निवेश साझीदारी पर रहा।चीन के साथ बढ़ते व्यापार घाटे पर वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने वहां के अपने समकक्ष के साथ स्पष्ट बातचीत की। व्यापार घाटा चीन के पक्ष में है और यह 52 अरब अमेरिकी डॉलर को पार कर गया है। वाणिज्य मंत्री ने भारतीय आइटी और कृषि उत्पादों से घाटा पाटने की मांग की।

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