लद्दाख में भारत-चीन की सेना के बीच हुई पत्थरबाजी, जानें- क्या है उसकी मंशा

भारत के पूर्वी हिस्से सिक्किम के पास इंडियन आर्मी और पीएलए के बीच डोकलाम पर जारी गतिरोध के इतर 71वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर चीन ने एक बार फिर से दुस्साहस करने की हिमाकत की। लद्दाख की प्रसिद्ध झील पैंगगांग के तटवर्ती रास्ते में चीनी सैनिक दो बार घुस आए। हालांकि, भारतीय सेना ने पीएलए का कड़ा विरोध किया और दोनों सेना के जवानों के बीच पत्थरबाजी भी हुई।
ऐसे में सवाल ये उठता है कि चीन क्या चाहता है? डोकलाम पर पहले से ही दोनों देशों के बीच तनातनी है ऐसे में क्या चीन देश के दूसरे में हिस्से में घुसपैठ कर भारत की मुसीबत बढ़ाना चाहता है? क्या चीन किसी मौके की तलाश में है ताकि वह डोकलाम को लेकर भारत के ऊपर दबाव बना सके? इस बारे में आइये बताते हैं क्या सोचते है विदेश मामलों के जानकार और क्या है चीन की मंशा।
भारत और चीन के सैनिकों में पत्थरबाजी
15 अगस्त को जब पूरा देश आज़ादी की जश्न में डूबा हुआ था चीनी सैनिकों ने जम्मू कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में घुसपैठ की नाकाम कोशिशें की। सैन्य अधिकारियों के मुताबिक, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जवान मंगलवार की सुबह लद्दाख के प्रसिद्ध झील पैगगांग के तटवर्ती रास्ते से दो बार घुस आए। लद्दाख के सामरिक महत्व के क्षेत्र फिंगर 4 और फिंगर 5 इलाकों में चीन की तरफ से यह घुसपैठ सुबह छह बजे और फिर दोबारा नौ बजे की गई।
हालांकि, दोनों ही मौके पर भारतीय सुरक्षाबलों ने पीएलए को खदेड़ दिया। जब चीनी सेना ने देखा कि भारतीय सैनिकों ने मानव श्रृंखला बनाकर उनका आगे बढ़ने का रास्ता रोक दिया है तो उन्होंने पत्थर फेंकने शुरु कर दिए। इसके बाद भारतीय जवानों ने भी पत्थरबाजी करके मुंहतोड़ जवाब दिया। हालात पर काबू होने के लिए परंपरागत बैनर ड्रिल की गई। जिसके तहत दोनों सेनाओं ने अपना अपना स्थान लिया।
स्वतंत्रता दिवस पर कार्यक्रम में शामिल नहीं हुआ पीएलए
डोकलाम में जारी विवाद के बीच 2005 के बाद पहला ऐसा मौका था जब भारतीय स्वतंत्रता दिवस के मौके पर 15 अगस्त को आयोजित मिलन समारोह कार्यक्रम में चीनी सैनिकों ने हिस्सा नहीं लिया। एक अन्य समारोह जो चीनी सैनिकों की तरफ से 1 अगस्त को किया जाता है जो पीएलए का स्थापना दिवस है वह भी इस बार नहीं आयोजित किया गया। एक अंग्रेजी अखबार ने अपने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास निर्धारित पांच मीटिंग प्वाइंट्स में से कही भी यह 15 अगस्त को मौके पर इस कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया गया जबकि हर बार की तरफ इस बार भी भारतीय सेना की तरफ से चीनी सैनिकों के हेडक्वार्टर पर निमंत्रण का पत्र भेजा था।
लेकिन, चीनी सैनिकों की तरफ से उसका कोई जवाब नहीं दिया गया। हालांकि, सेना की तरफ से इस पर किसी तरह कि टिप्पणी से इनकार कर दिया गया है लेकिन अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के कार्यक्रम से दोनों देशों के बीच रिश्तों में जमीं बर्फ के पिघलाने और आपसी विश्वास बहाली में मदद मिलती थी। अधिकारियों का मानना है कि इस तरह की चीजें दोनों देशों के हित में है और इससे सीमा पर तनाव को कम करने में मदद मिलती।
चीन का ये दुस्साहस क्यों?
लद्दाख में फिंगर-4 पर दावा ठोंकने वाली चीन सेना ने पहली बार घुसपैठ के लिए यह रास्ता चुना है। आज से करीब करीब 25 साल पहले भारत ने अपने दावे पर बातचीत शुरू की तो चीन ने वहां सड़क बना ली और दावा किया कि वह अक्साई चिन का हिस्सा है। चीन ने फिंगर-4 पर जो सड़क बनाई है वह सिरी जाप क्षेत्र में खत्म होती है जो भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के 5 किमी अंदर आकर खत्म होती है। चीन के इस कदम को रक्षा और विदेश मामलों के जानकार कमर आगा बेहद ख़तरनाक मान रहे हैं। रक्षा मामलों के जानकार कमर आगा ने बताया कि ये चीन की एक रणनीति है जो भारत को परेशान करने की है। उन्होंने बताया कि आनेवाले दिनों में चीन की तरफ से इस तरह की हरकतें ना सिर्फ चीन की तरफ से बढ़ेगी बल्कि पाकिस्तान की तरफ से भी संघर्ष विराम उल्लंघन के मामलों में और तेज़ी आएगी।
चीन को खटक रहा भारत का तेज़ी से विकास
कमर आगा का मानना है कि भारत-चीन सीमा पर भारतीय जवानों को बड़ी तादाद में मुश्तैद करना होगा। उन्होंने बताया कि उनका मानना है कि चीन और भारत के बीच लगता हुआ करीब 4 हजार किलोमीटर का इलाका है वहां पर आनेवाले दिनों में भारत का रक्षा खर्च काफी बढ़नेवाला है। चूंकि, चीन की आंखों में लगातार भारत का विकास खटक रहा है यही वजह है कि वह सीमा पर भारत को उलझाए रखना चाहता है। कमर आगा की मानें तो चीन जहां एक तरफ भारत को एनएसजी और मसूद अजहर पर रोक रहा है तो वहीं दूसरी तरफ ऐसा भी हो सकता है कि पाकिस्तान की तरफ से भारत में दाखिल हुए रहे आतंकवादियों को चीन की तरफ से फंडिंग की जा रही हो। इतना ही नहीं, चीन लगातार पाकिस्तान को भारत के खिलाफ उकसावेपूर्ण कार्रवाई के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।
डोकलाम पर कब तक रहेगा गतिरोध?
कमर आगा का मानना है कि डोकलाम पर इतनी जल्दी गतिरोध दोनों देशों के बीच खत्म नहीं होनेवाला है। उसकी वजह ये है कि चीन के साथ एक बार जो मुद्दा उठता है वह इतनी जल्दी खत्म नहीं होता है बल्कि लंबा खिंचता है। हालांकि, वे मानते है कि चीन भले ही जिस तरह का भारत के खिलाफ पैंतरा अपना लें लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिलनेवाली है। लेकिन, भारत के खिलाफ सीमा पर जो कुछ भी चल रहा है उसमें कहीं ना कहीं चीन और पाकिस्तान की सांठ-गांठ जरूर दिखती है।