MP के टेरर फंडिंग मास्टर माइंडों के पैसे से होती थी कश्मीर में पत्थरबाजी, सुप्रीम कमांडर ने उगले ये राज

सतना। टेरर फंडिंग के मास्टर माइंड माने जा रहे जिले के बलराम और रज्जन के पैसों से कश्मीर में पत्थर बाजी होती थी। यह चौंकाने वाला खुलासा बिलासपुर पुलिस के हाथ लगे इनके सुप्रीम कमाण्डर पीर अरशद ने किया है। हालांकि बिलासपुर पुलिस इस मामले में अभी कुछ भी कहने से बच रही है।

लेकिन सूत्रों का कहना है कि इसकी गिरफ्तारी दिल्ली से की गई है। टेरर फंडिंग के इस नेटवर्क की तलाश में एमपी, यूपी और छग एटीएस कर रही थी। लेकिन सफलता बिलासपुर पुलिस के हाथ लगी है। पुलिस इस मामले में पीर अरशद से और राज उगलवाने में जुटी है।

एमपी एटीएस के आगे इसने कई राज उगले

मिली जानकारी के अनुसार टेरर फंडिंग का पहला खुलासा जिले के सुहास गांव निवासी बलराम की गिरफ्तारी से हुआ था। एमपी एटीएस के आगे इसने कई राज उगले। जिसके बाद जिले में इसका एक बड़ा नेटवर्क पकड़ में आया जिसमें पोड़ी निवासी रज्जन तिवारी का चेहरा सामने आया। यह बलराम का भी बॉस बताया गया। इन दोनों ने पूछताछ में टेरर फंडिग से इकट्ठा रकम को दिल्ली निवासी अपने आका जब्बार को देना बता रहे थे।

छग माड्यूल का हुआ था खुलासा
जहां से यह पाया गया कि यह राशि आतंकियों के मदद में पहुंच रही थी। इसी बीच बलराम और रज्जन के छग माड्यूल का भी खुलासा हुआ था। छग पुलिस ने बिलासपुर से मुनीन्द्र यादव और संजय देवांगन को भी बलराम और रज्जन के माध्यम से रज्जन के भाई रुचि के हाथों जब्बार को पैसे भेजने का खुलासा किया था। इसके बाद से लगातार आगे के नेटवर्क की तलाश में एमपी और छग की एटीएस जुटी हुई थीं।

बारामुला निवासी है पीर
बिलासपुर पुलिस सूत्रों की माने तो छग पुलिस बिलासपुर में मुनीन्द्र और संजय की गिरफ्तारी के बाद लगातार टेरर फंडिंग के नेटवर्क के आका की तलाश में जुटी थी। इसी बीच उन्हें खुफिया इनपुट मिला कि जब्बार का कनेक्शन जम्मू कश्मीर के बारामुला निवासी पीर अरशद उर्फ आशू से है। इसके बाद बिलासपुर पुलिस ने अपना जाल फैलाया। साइबर निगरानी और पुख्ता मुखबिरी के बीच बिलासपुर पुलिस को पुख्ता इनपुट मिला कि इन दिनों पीर दिल्ली आया हुआ है और किसी बड़ी डीलिंग की तैयारी में है। इस इनपुट के साथ बिलासपुर पुलिस तत्काल दिल्ली पहुंची और पीर अरशद को गिरफ्त में ले लिया।

सैन्य बलों के खिलाफ खर्च होती थी रकम
सूत्रों का कहना है कि पीर ने अभी बताया है कि टेरर फंडिंग से मिलने वाली यह राशि वह कश्मीर के युवाओं को बरगलाने और सैन्य बलों के खिलाफ पत्थरबाजों को उकसाने में खर्च करता था। हालांकि अभी बिलासपुर पुलिस इस मामले में कुछ भी बोलने से बच रही है लेकिन माना जा रहा है कि जल्द ही इस मामले में एनआईए जैसी एजेंसियां भी पूछताछ में शामिल हो सकती हैं।