पहले अमेरिकंस को जॉब मिले: ट्रम्प; H-1B वीजा के नए रूल्स पर किए साइन
डोनाल्ड ट्रम्प ने H-1B वीजा रूल्स को सख्त बनाने के लिए एक एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर साइन कर दिए। साथ ही कहा, “अमेरिकियों के हितों से समझौता नहीं किया जाएगा। कंपनियों को स्किल्ड लोगों को ज्यादा सैलरी देनी होगी।” इस बीच, यूएस और ऑस्ट्रेलिया को देखते हुए न्यूजीलैंड ने भी वीजा नियमों में सख्ती का ऑर्डर दिया है।हमारे इमिग्रेशन सिस्टम में गड़बड़ी…
– न्यूज एजेंसी के मुताबिक, ट्रम्प ने कहा, “हमारे इमिग्रेशन सिस्टम में गड़बड़ी की वजह से अमेरिकियों की नौकरियां विदेशी इम्प्लॉइज के हिस्से जा रही हैं। कंपनियां, कम वेतन देकर विदेशियों को जॉब पर रख लेती हैं जिससे अमेरिकंस की नौकरियां मारी जा रही हैं। ये सब अब खत्म होगा।”
– “लंबे समय से अमेरिकी इम्प्लॉइज वीजा प्रोसेस के गलत इस्तेमाल को खत्म करने की मांग करते रहे हैं।”
– ट्रम्प के मुताबिक, “मौजूदा वक्त में H-1B वीजा लॉटरी सिस्टम के तहत दिया जाता है। ये गलत है। वीजा ज्यादा स्किल्ड और हाईएस्ट पेड एप्लीकेंट्स को दिया जाना चाहिए। कंपनियां किसी भी तरीके से अमेरिकन की जगह किसी और इम्प्लॉई को नहीं रख सकतीं। जो पहले हो रहा था, वो नहीं होगा। कंपनियों को फेयर प्रोसेस अपनानी होगी।”
– “हमारा एडमिनिस्ट्रेशन ‘हायर अमेरिकन’ के नियम पर काम करेगा ताकि हमारे लोगों के जॉब और उनकी सैलरी को सुरक्षित किया जा सके।”
– “हम फॉरेन देशों को लंबे वक्त तक हमारी कंपनियों और वर्कर्स को धोखा देने की परमिशन नहीं दे सकते। मैं साफ कर देना चाहता हूं कि ‘बाई अमेरिकन, हायर अमेरिकन’ की पॉलिसी सख्ती से लागू होगी।”
व्हाइट हाउस ने क्या कहा?
– व्हाइट हाउस से जारी स्टेटमेंट में कहा गया, “H-1B वीजा के जरिए अमेरिका में ज्यादा स्किल्ड और सैलरी वाले लोग लाने चाहिए।”
– “स्टडीज बताती हैं कि जिन 80% लोगों को ये वीजा दिया जाता है, उनका सैलरी लेवल कम होता है। मौजूदा वक्त में कंपनियां H-1B वीजा पॉलिसी का गलत इस्तेमाल कर रही हैं और अमेरिकियों की जगह फॉरेन वर्कर्स को तरजीह दे रही हैं।”
– बता दें कि ट्रम्प अपने प्रेसिडेंशियल कैम्पेन के समय से ही H-1B वीजा सिस्टम में बदलाव की बात कहते रहे हैं। अमेरिकी रिपोर्ट्स बताती हैं कि हर साल ज्यादातर H-1B वीजा भारतीय आईटी कंपनियां हासिल कर लेती हैं।