शाह ने रखा 350+ का लक्ष्य, इन 5 सूत्रों से पूरा हो सकता है मिशन

बीजेपी आलाकमान अमित शाह ने 2019 को सिर्फ फतह करने का सियासी फॉर्मूला बनाया है. इसी सियासी मंत्र के जरिए वह 18 महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 350 प्लस सीट जीतने का लक्ष्य तय किया है. शाह के पास ऐसे पांच ब्राह्मशास्त्र हैं, जिनके जरिए विपक्षी पार्टियों के सारी रणनीति को ध्वस्त करके अपने 350 फ्लस के सपने को साकार करेंगे. वहीं ‘आजतक’ और इंडिया टुडे ने KARVY इंसाइट लिमिटेड के साथ मिलकर अब तक का सबसे बड़ा ओपिनियन पोल किया, जिसमें अगर आज चुनाव होता है तो बीजेपी को 298 सीटे मिलती नजर आ रही हैं.
दरअसल बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की शुरु से रणनीति रही है कि पहले लक्ष्य तय करो, फिर उसी मद्दे नजर सियासी फॉर्मूला बनाया जाए. इसी मंत्र के जरिए उन्होंने देश के कई राज्यों में भगवा ध्वज फहराने में कामयाब रहे हैं. इसी कड़ी में अब 2019 में पार्टी को सत्ता में बरकरार रखने के लिए उन्होंने पार्टी नेताओं की अहम बैठक की, जिसमें 350 प्लस सीट जीतने का लक्ष्य रखा गया है. जो पिछले चुनाव की तुलना में 78 सीटें अधिक है. इस सियासी फॉर्मूले को पिछले एक साल से बनाने में शाह जुटे हैं. शाह के ये हैं पांच मंत्र-
सोशल इंजीनियरिंग
बीजेपी प्रमुख अमित शाह का पहला मंत्र सोशल इंजीनियरिंग का है. बीजेपी ने रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति बनाकर देश के दलित समाज के बीच एक संदेश देने की कोशिश की है. कोविंद के नाम के जरिए बीजेपी दलित मतदाताओं को साधने की कोशिश की है. इतना ही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार बाब साहब आंबेडकर का जिक्र अपने भाषणों के जरिए करते रहे है. इसके अलावा ओबीसी को साधने के लिए नीतीश कुमार के संग दोस्ती हो ही चुकी है. यूपी में ओबीसी का बड़ा तबका इन दिनों बीजेपी के साथ है. बाकी यादव समाज को भी पाले में लाने की कोशिश अमित शाह कर रहे हैं. पिछले दिनों लखनऊ यात्रा के दौरान यादव समाज के बीजेपी कार्यकर्ता के यहां जाना और उसके घर भोजन करना उसी के मद्दे नजर देखा जा रहा है.
कोस्टल सीटें
लोकसभा चुनाव 2019 में 2014 के मुताबिक ज्यादा सीटें लाने के लिए अमित शाह की नजर उन सीटों पर हैं, जो कोस्टल लोकसभा सीटें है. यानी समुद्रीय तट के किनारे वाली सीटें. तमिलनाडु-पुड्डुचेरी की 40, केरल की 20, पश्चिम बंगाल की 42 और ओडिशा की 21 सीटें ही उनके लक्ष्य में शामिल हैं. इन तटीय राज्यों से करीब 110 लोकसभा सीटें जीतने का लक्ष्य बनाया है. जबकि इन क्षेत्रों में आने वाली कुल सीटे 123 हैं. इन सीटों पर पिछले चुनाव में बीजेपी जीत नहीं सकी थी. इसी मद्दे नजर शाह ने इन्हें टारगेट किया.
पिछले एक साल इन क्षेत्रों में जमीनी स्तर पार्टी नेता काम में जुटे हैं. बीजेपी ने इसके लिए ओडिशा में धर्मेंद्र प्रधान को जिम्मेदारी सौंपी है. अरुण सिंह और जोएल ओराम उनके साथ रहेंगे. वहीं, पश्चिम बंगाल में कैलाश विजयवर्गीय, रूपा गांगुली, हेमंत विश्वसरमा को जिम्मा दिया गया है. केरल में एम राव, एस गुरुमूर्ति, राजगोपाल को जिम्मेदारी दी है. तमिलनाडु में सीटी रवि, एस गुरुमूर्ति और एम राव काम देख रहे हैं. सूत्रों की माने तो बीजेपी अपनी कार्यसमिति की बैठक आंध्रप्रदेश में करने की योजना बनाई है.
दूसरे नंबर वाली सीटे
अमित शाह अपने लक्ष्य के लिए उन सीटों को भी टारगेट किया हैं. जिन सीटों पर पिछले लोकसभा चुनाव में हार मिली थी और पार्टी दूसरे नंबर पर थी. देश की करीब 75 सीटें ऐसी हैं जिसे बीजेपी जीतते जीतते हार गई थी. इनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब हरियाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश शामिल हैं. जबकि इन राज्यों में ज्यादातर सीटें बीजेपी के खाते में गई थी. बावजूद इसके अब 2019 क्लीन स्वीप करने के मकशद से अमित शाह ने इन सीटों को टारगेट किया है.
सांसदों की क्लास
मोदी-शाह ने 2019 के मद्दे नजर पिछले दिनों बीजेपी सांसदों की जमकर क्लास लगाई थी और कहा था कि अब आपके मौज-मस्ती के दिन बंद हो जाने चाहिए. मोदी ने कहा कि आप लोग अपने आपको क्या समझते हैं, आप कुछ भी नहीं हैं, मैं भी कुछ नहीं हूं , जो है बीजेपी है. बीजेपी सांसदों की संसद में अनुपस्थिति पर कहा अटेंडेंस के लिए क्यों कहा जाए, जिसको जो करना है करिए 2019 में मैं देखूंगा. इससे साफ जाहिर है जिन सांसदों की प्रदर्शन ठीक नहीं है उनके टिकट भी कट सकते हैं. उनकी जगह नए चेहरों की जगह मिल सकती है.
मंत्रियों को जिम्मा
शाह ने मंत्रियों को पांच पांच सीटों का समूह बनाकर जिम्मेदारी दी गई है. इससे साफ जाहिर है कि जिन पांच सीटों का जिम्मा जिस मंत्री को दिया गया है उस पर जीत हार की जिम्मेदारी उसकी होगी. ऐसे में मोदी-शाह की नजर में अपने आपको बेहतर साबित करने के लिए बीजेपी के मंत्री अपनी जान लगाकर जिम्मे वाली सीटों को जीतने की कोशिश करेगें. इस प्रदर्शन के जरिए उनके ओहदे भी तय होंगे. ऐसे मंत्रियों को जिम्मा दिया गया है जिनके पास सांगठनिक अनुभव भी है. जाहिर तौर पर ये पालक केंद्रीय योजनाओं के जरिए भी जमीन तक पहुंचने की कोशिश करेंगे और संगठनकर्ता के रूप में भी. उन लगभग डेढ़ सौ सीटों पर प्रभारी पहले ही नियुक्त कर दिए हैं जहां भाजपा हारी थी वहां प्रभारी किसी दूसरे जिला के नेता को बनाया गया है. इसके अलावा बीजेपी शासित राज्य को मुख्यमंत्री को इस काम पर लगाया जा रहा है.